Nithari Kand Update: नोएडा के चर्चित निठारी मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एस एच ए रिजवी की डिवीजन बेंच ने निठारी कांड में दोषी करार दिए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को कई मामलों में बरी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने उनके फांसी की सजा को भी रद्द करने का फैसला दिया है। बता दें कि निठारी कांड का खुलासा वर्ष 2006 में हुआ था और उसके बाद से गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया था। इस मामले में सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर को निचली कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले को लेकर दोषियों ने कोर्ट में अपील दाखिल की थी। अब कोर्ट ने इसको लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए दोनों के फांसी की सजा को रद्द कर दिया है।
15 सितंबर को रिजर्व किया था जजमेंट
निठारी कांड को लेकर सुनवाई का क्रम लंबे समय से जारी था। इस संबंध में कोर्ट ने सितंबर में ही सुनवाई को पूरा कर लिया था। कहा गया कि 15 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरा कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद आज जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एस एच ए रिजवी की डिवीजन बेंच ने इस अहम फैसले को सुनाते हुए निठारी कांड में दोषी सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर के फांसी की सजा को रद्द करने का निर्णय लिया है।
कोली व पंढेर ने की थी अपील
निठारी कांड में दोषी ठहराए जाने वाले सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर ने इस मामले में फांसी की सजा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपील दाखिल की थी। बात दें कि गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने ही उन्हें इस मामले में दोषी करार दिया था और इसको लेकर निचली कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। सुरेंद्र कोली को दर्जनों लड़कियों की नृशंस हत्या व दुष्कर्म करने के मामले में फांसी की सजा मिली थी तो वहीं पंढेर को तीन मामलों में फांसी की सजा मिली थी। इन दोनों ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। कोर्ट ने इस अपील को मंजूर कर सुनवाई की और आरोप साबित न हो पाने के कारण उन आरोपियों को कई मामलों में बरी कर दिया है।
ये है पूरा मामला
नोएडा के निठारी इलाके में वर्ष 2006 में कई कंकाल बरामद किए गए थे। इस मामले में सुरेंद्र कोली व मनिंदर सिंह पंढेर को नोएडा पुलिस ने तब गिरफ्तार किया था। इसके बाद से इस प्रकरण की कुल जांच सीबीआई के हवाले दे दी गई और सीबीआई के जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई का क्रम देखने को मिला। प्रशासन ने इस मामले में कुल 16 मुकदमा दर्ज करते हुए अदालत में वर्ष 2007 में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था।
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