Birth certificate: केंद्र सरकार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु से जुड़ा एक डेटाबेस तैयार करना चाहती है। इसी दिशा ने सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। दरअसल, बुधवार (26 जुलाई) को सरकार ने इस संबंध में लोकसभा में एक बिल पेश किया।
बताया जा रहा है कि इस बिल की पीछे का मकस्द सिंगल डॉक्यूमेंट के इस्तेमाल पर जोर देना है। सरकार चाहती है कि Birth certificate के जरिए ही लोग अपने सारे काम निपटा लें। जिससे लोगों को काफी आसानी होगी।
क्या है सरकार का प्लान ?
सरकार ने बुधवार को जन्म और मृत्यु पंजीकरण (अमेंडमेंट) बिल 2023 संसद में पेश किया। अगर ये बिल संसद में पास होता है तो अस्तित्व में आने के 54 वर्षों बाद इसमें पहली बार संशोधन होगा। सरकार इसका एक पूरा डेटाबेस तैयार करेगी। इसके जरिए आप कई झंझटों से मुक्ति पा सकेंगे।
शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेना हो या फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनाना, आप सब काम जन्म प्रमाणपत्र के जरिए कर पाएंगे। इतना ही नहीं वोटर कार्ड बनाने से लेकर आधार कार्ड बनवाने तक आप जन्म प्रमाणपत्र का इस्तेमाल कर पाएंगे। यानी आप इसे ‘ऑल इन वन’ डॉक्युमेंट की तरह इस्तेमाल कर पाएंगे।
संशोधन के विरोध में है विपक्ष
बुधवार को संसद में बिल पेश होने के बाद विपक्ष ने इसका विरोध किया। विपक्ष का कहना है कि ये निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन है। बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस ने कहा कि इस डेटाबेस को तैयार करने के लिए राज्य को अपना डेटा केंद्र से साझा करना होगा। जो साफ तौर पर अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि सरकार इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकती है। ऐसे में ये डेटा शेयर करना सही विकल्प नहीं है।
कानून बदलने से क्या फायदे होंगे ?
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को लोकसभा में यह बिल पेश किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जन्म और मृत्यु के डेटाबेस को अन्य सेवाओं के साथ जोड़ा जाएगा। इसकी मदद से लोग कई काम आसानी से कर पाएंगे।
उन्होंने तर्क दिया कि इस बिल के जरिए सरकार सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में तेजी लाना चाहती है, ताकि पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, राशन कार्ड बनवाने जैसे काम लोग बस एक ही डॉक्यूमेंट के जरिए कर पाएं।
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