Parliament Winter Session: लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले सदन का सत्र आज से शुरू हो चुका है। शीतकालानी शत्र के रूप में ये 18वीं लोकसभा का तीसरा सत्र होगा। सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ INDIA Alliance के लिहाज से भी शीतकालीन सत्र अहम है। 18वीं लोकसभा के पहले शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में BJP के नेतृत्व वाली सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान कई विधेयक पेश करेगी। इसमें कुछ विधेयक चर्चा के लिए तो वहीं कुछ मंजूरी के लिए पेश किए जाएंगे।
मोदी सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले विधेयकों में वक्फ विधेयक (Waqf Bill) सबसे अहम है। वक्फ विधेयक पर सबकी नजरें टिकी हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और यूपी उपचुनाव में जीत के बाद बीजेपी उत्साहित है। बीजेपी खास रणनीति के तहत शीतकालीन सत्र में पहुंची है। वहीं इंडिया गठबंधन को महाराष्ट्र और यूपी में करारा झटका मिला है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शीतकालीन सत्र के लिए विपक्ष तैयार है? शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष की रणनीति क्या होगी? आइए हम आपको इस तरह के सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।
Maharashtra, UP में जीतने के बाद Parliament Winter Session में Waqf Bill लाने की तैयारी में BJP!
बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के हौसले बुलंद हैं। इसका खास कारण है यूपी उपचुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली जीत। चुनावी परिणाम के ठीक बाद आज से सदन के शीतकालीन सत्र की शुरुआत भी हो गई है। खबर है कि इस दौरान वक्फ विधेयक (Waqf Bill) को भी मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है।
हालांकि, इसको लेकर अभी संदेह है। दरअसल, वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पेश की जानी है। रिपोर्ट पेश किए जाने से पहले ही विपक्षी सदस्यों ने समय सीमा को विस्तार देने की मांग की है। ऐसे में वक्फ विधेयक को लेकर ये देखना दिलचस्प होगा कि JPC अपनी रिपोर्ट कब तक प्रस्तुत करती है और तब जाकर इसे पारिक किया जाएगा।
Parliament Winter Session के पहले दिन PM Modi की दो टूक
शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बड़ी बात कह दी है।
पीएम मोदी ने कहा कि ”कुछ लोग जिन्हें जनता ने खारिज कर दिया है, वे गुंडागर्दी के जरिए संसद को लगातार नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। देश की जनता उनके सभी कार्यों को गिनती है और समय आने पर सजा भी देती है। सबसे दुखद बात है कि नए सांसद नए विचार, नई ऊर्जा लेकर आते हैं और वे किसी एक पार्टी के नहीं बल्कि सभी पार्टियों के होते हैं और कुछ लोग उनके अधिकारों को हड़प लेते हैं। उन्हें सदन में बोलने का मौका भी नहीं मिलता। लेकिन जिन्हें लगातार नकारा गया है, वे न तो लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं और न ही लोगों की आकांक्षाओं का महत्व समझते हैं।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये भी कहा है कि ”भारत के मतदाता लोकतंत्र और संविधान के प्रति समर्पित हैं। संसदीय कार्य प्रणाली के प्रति उनका विश्वास है। संसद में बैठे हम सभी लोगों को उनकी भावनाओं पर खरा उतरना होगा। समय की मांग है कि हम सदन में हर विषय के विभिन्न पहलुओं को बहुत स्वस्थ तरीके से उजागर करें। इससे आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी। आशा है कि यह सत्र बहुत अच्छा और फलदायी रहेगा। मैं एक बार फिर सभी सम्मानित सांसदों को इस सत्र को जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं।”
शीतकालीन सत्र को लेकर क्या है INDIA Alliance की रणनीति?
विपक्षी दलों का गठबंधन (INDIA Alliance) भी सदन के शीतकालीन सत्र को लेकर पूरी तरह से तैयार नजर आ रहा है। इशारों-इशारों में ही विपक्षी सांसदों ने स्पष्ट कर दिया है कि शीतकालीन सत्र में मणिपुर और अडानी जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का कहना है कि “आज मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में गठबंधन की बैठक है। हम वहां रणनीति तय करेंगे। मेरा एक ही अनुरोध है कि सरकार भागने की कोशिश न करे। अर्थव्यवस्था, सामाजिक न्याय, कानून और व्यवस्था के अलावा देश को प्रभावित करने वाले मणिपुर, किसानों का संकट जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाए।”
मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की एक बैठक भी हुई है। इस बैठक में प्रमोद तिवारी, केसी वेणुगोपाल समेत अन्य कई विपक्षी दलों के नेता नजर आ रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष किस खास रणनीति से शीतकालीन सत्र में अपना पक्ष रखती है।