Patna News: बिहार समेत देश के अनेक हिस्सों में देखा जाता है कि कार या बाइक चालक फैन्सी नंबर प्लेट को लगाकर चलते हैं और खुद को औरों से अलग दिखाने की कोशिश करते हैं। उदाहरण स्वरुप 8055 को BOSS के रुप में लिखना और 4141 को “पापा” के रुप में लिखना। इस मामले को लेकर बिहार सरकार ने सख्ती दिखाते हुए अब दोषियों पर कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। परिवहन विभाग की माने तो पूरे राज्य में अवैध रूप से वाहन निबंधन प्लेट निर्माण करने वाले विक्रेताओं पर अब कार्रवाई की जायेगी। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने इस मामले को व्यक्तिगत रुप से संज्ञान में लेते हुए सभी डीएम, एसएसपी और एसपी को कार्यवाही का निर्देश दिया है।
अवैध निबंधन प्लेट निर्माण करने वालों पर होगी कार्यवाही
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सभी डीएम, एसएसपी और एसपी को इस मामले में दोषी पाए जाने वालों पर कार्यवाही का निर्देश दिया है। श्री अग्रवाल ने कहा है कि ज्यादातर जनपदों से आई जानकारी में ये मामला सामने आया है कि तय मानक के विरुद्ध जाकर नंबर प्लेट का निर्माण अवैध रुप से किया जा रहा है। इसके तहत जो भी वाहन हैं उनके मूल निबंधन संख्या की जगह दूसरे संख्या का फर्जी नंबर प्लेट दुकानों या फुटपाथों पर लगे दुकानों में बनाया जा रहा है। ऐसे में ये मानक के खिलाफ है और आगे से ऐसा करने पर जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
इस नियम के तहत होगी कार्यवाही
विभाग ने तय किया है कि अब अवैध तरीके से निर्मित हो रहे निबंधन प्लेट को लेकर दुकानदारों और फुटपाथ व्यवसायियों पर केंद्रीय मोटरवाहन नियमावली के नियम- 50 एवं 51 के उल्लंघन के आरोप में कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए सभी जिलों के डीएम, एसएसपी, एसपी को निर्देशित कर दिया गया है। अब यदि कोई व्यक्ति निबंधन प्लेट के तय मानक के खिलाफ जाकर उससे छेड़-छाड़ करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही तय है।
जरुरी है निबंधन प्लेट के छेड़-छाड़ करने वालों पर कार्यवाही
परिवहन विभाग की माने तो इस तरह से निबंधन प्लेट के छेड़-छाड़ कर लोग बड़े अपराधों को भी अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में इस फर्जी निबंधन प्लेटों के निर्माण पर रोक लगाना अपराध की नियंत्रित करने के लिए बाहद ही आवश्यक कदम है। वहीं इसके अतिरिक्त विभाग ने ये भी जानकारी दी है कि इस तरह के नंबर प्लेट होने से किसी घटना-दुर्घटना में वाहनों के संबंध में जानकारी मिलने में बहुत देर होती है। इस देरी के कारण अनुसंधान एवं अन्य सुविधा देने में विलंब हो जाता है।
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