Monday, December 23, 2024
Homeख़ास खबरेंराजीव गांधी से लेकर PM Modi तक, जानें कैसे मुस्लिम तुष्टिकरण का...

राजीव गांधी से लेकर PM Modi तक, जानें कैसे मुस्लिम तुष्टिकरण का हुआ सशक्तिकरण में परिवर्तिन

Date:

Related stories

PM Modi के Kuwait Visit पर खुशी से फूल उठे भारतीय प्रवासी! सामने आया अरबी भाषा में प्रकाशित Ramayana और Mahabharata; Video

PM Modi Kuwait Visit: करोड़ों हिंदुओं के लिए आस्था का प्रतीक माने जाने वाले पवित्र ग्रंथ 'रामायण' और 'महाभारत' के नए प्रकाशन को लेकर बड़ी खबर आई है। कुवैत में एक पुस्तक प्रकाशक ने रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) ग्रंथ का प्रकाशन अरबी भाषा में किया है।

Rahul Gandhi के Congress की साख पर डेंट! Haryana, Maharashtra में करारी हार के बाद 2025 में पार्टी के लिए कितना कुछ दांव पर?

Rahul Gandhi: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव को हुए कुछ 2 महीने से ज्यादा हो गए। हालांकि, कांग्रेस (Congress) पार्टी का घाव अभी ताजा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि कांग्रेस हरियाणा (Haryana) में करीबी अंतर से चूक गई तो, वहीं महाराष्ट्र में पार्टी को करारी हार मिली थी।

PM Modi: बीते दिन यानि 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की काफी चर्चा हो रही है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं भी गुजारा भत्ता पाने के लिए कानून की मदद ले सकती है। कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि धर्म से इसका कोई मतलब नहीं है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने यह फैसला सुनाया। मालूम हो कि यह भारत में मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शीर्ष अदालत के कई फैसलों में से एक है। वहीं इस बीच राजीव गांधी का एक फैसला काफी चर्चा में बना हुआ है।

शाहबानो मामला और राजीव गांधी सरकार

दरअसला 1985 में, सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मदाबाद में एक मुस्लिम महिला के गुजारा भत्ते के अधिकार को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया था । यह मामला अहमद खान बनाम शाहबानो बेगम था। हालांकि राजीव गांधी ने (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 लागू किया। राजीव गांधी ने 1986 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। इस अधिनियम को भेदभावपूर्ण माना गया, क्योंकि इसने मुस्लिम महिलाओं को धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत मिलने वाले बुनियादी भरण-पोषण के अधिकार से वंचित कर दिया।

गोलबाई बनाम नसरोजी 1963

मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से संबंधित पहले मामलों में से एक, 1963 का गूलबाई मामला था, जहां अदालत ने वैध निकाह समझौते के आवश्यक घटकों पर जोर देते हुए मुस्लिम कानून के तहत विवाह की वैधता के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए थे।

तुष्टिकरण से लेकर सशक्तिकरण तक कैसे आया बदलाव

गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा मुस्लिम महिलाओं को लेकर कई अहम फैसल लिए गए। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल दिए फैसले को भी मुस्लिम महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि एक तरफ जहां वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में राजीव गांधी ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की बात करने वाली सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया था। वहीं मोदी राज में मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई अहम कदम उठाएं जा रहे है। जिसमे तीन तलाक कानून से लेकर अब गुजारा भत्ता भी शामिल हो गया है।

Latest stories