PM Modi: देश की सभी 543 लोक सभा सीटों के लिए चुनावी प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। देश के नागरिक अब बेसब्री से आने वाले कल यानी 4 जून का इंतजार कर रहे हैं जिस दिन चुनावी नतीजों का ऐलान होना है। चुनावी नतीजों की घोषणा से पहले ही पीएम मोदी ने देश के नागरिकों के नाम एक पत्र जारी कर उनके द्वारा कन्याकुमारी में की गई साधना व राजनीतिक अनुभवों को किया साझा है।
पीएम मोदी द्वारा लिखे गए पत्र में उल्लेखित है कि “दायित्वों के बीच साधना कठिन होती है, लेकिन कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे सहज बना दिया।” इसके अलावा पीएम मोदी ने भी बताया कि कन्याकुमारी के उगते हुए सूर्य ने उनके विचारों को नई ऊंचाई दी, सागर की विशालता ने उनके विचारों को विस्तार दिया और क्षितिज के विस्तार ने ब्रह्मांड की गहराई में समाई एकात्मकता का निरंतर ऐहसास कराया। ऐसे में आइए हम आपको पीएम मोदी द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखी सभी प्रमुख बातों को विस्तार से बताते हैं।
देश के नागरिकों के नाम पीएम मोदी का पत्र
पीएम मोदी द्वारा देश के नागरिकों के नाम जारी किए गए पत्र में प्रमुख रूप से उनकी ध्यान साधना का उल्लेख किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि “कन्याकुमारी में साधना के दौरान वे सब कुछ आत्मसात कर रहे थे और उनकी आंखें नम हो रही थीं। इस दौरान वे शून्यता में जा रहे थे और साधना में प्रवेश कर रहे थे। साधना में प्रवेश करने के साथ ही तमाम राजनीतिक वाद विवाद, वार-पलटवार, आरोपों के स्वर और शब्द, सब अपने आप शून्य में समाते चले गए। पीएम मोदी के मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया और उनका मन बाह्य जगत से पूरी तरह अलिप्त हो गया।”
पीएम मोदी अपने पत्र में लिखते हैं कि “साधना के दौरान विरक्ति के बीच, शांति और नीरवता के बीच, मेरे मन में निरंतर भारत के उज्जवल भविष्य के लिए, भारत के लक्ष्यों के लिए निरंतर विचार उमड़ रहे थे। ऐसा महसूस हो रहा था कि दशकों पहले हिमालय की गोद में किए गए चिंतन और अनुभव पुनर्जीवित हो रहे हों।”
कन्याकुमारी स्थान की विशेषता
पीएम मोदी ने पत्र में कन्याकुमारी स्थान का खूब उल्लेख किया है व इस ऐतिहासिक स्थान की विशेषता पर भी जोर दी है। पीएम पत्र में लिखते हैं कि “कन्याकुमारी का ये स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक का निर्माण श्री एकनाथ रानडे जी ने करवाया था।”
कन्याकुमारी की विशेषता पर जोर देते हुए पीएम मोदी लिखते हैं कि “कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है और हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। यहाँ एक और महान संगम दिखता है- भारत का वैचारिक संगम। कश्मीर से कन्याकुमारी, ये हर देशवासी के अन्तर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान हैं। ये वो शक्तिपीठ है जहां मां शक्ति ने कन्या कुमारी के रूप में अवतार लिया था। इस दक्षिणी छोर पर माँ शक्ति ने उन भगवान शिव के लिए तपस्या और प्रतीक्षा की जो भारत के सबसे उत्तरी छोर के हिमालय पर विराज रहे थे।”
नोट– पीएम मोदी द्वारा जारी किए गए पत्रों को उनके शब्दों में पढ़ने के लिए आप उपरोक्त में दर्ज किए गए एक्स हैंडल लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।