Atul Subhash: दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा व अलगाव से जुड़े मामलों को लेकर एक अलग विषय छिड़ गई है। इसकी वजह है समस्तीपुर के रहने वाले युवा टेक एक्सपर्ट अतुल सुभाष का आत्महत्या करना। अतुल सुभाष (Atul Subhash) के निधन के बाद उनके भाई बिकास कुमार द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। ये मामला यहीं नहीं थमता नजर आ रहा है। केन्द्रीय मंत्री से लेकर अन्य कई सोशल एक्टिविस्ट दहेज व अलगाव के मामलों में कानून के दुरुपयोग पर खुल कर अपना पक्ष रख रहे हैं। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों आज व्यापक तौर पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न व अलगाव से जुड़े मामलों में वृद्धि हो रही है और इसके दुरुपयोग पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
दहेज और अलगाव के मामलों में कानून के दुरुपयोग पर क्यों उठ रहे सवाल?
सोशल एक्टिविस्ट और अधिवक्ता आभा सिंह का कहना है कि “महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए जा रहे दहेज कानूनों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि अगर कुछ महिलाएं इन कानूनों का दुरुपयोग करेंगी, तो यह सीधे तौर पर उन महिलाओं को न्याय से वंचित कर देगी जिन्हें इसकी जरूरत है।”
अधिवक्ता आशा सिंह आगे कहती हैं कि “किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए ब्लैकमेल करना निंदनीय और शर्मनाक है। मेरी संवेदना मृतक की मां के प्रति है, जिसने अपने बेटे को खो दिया है। अतुल सुभाष (Atul Subhash) के 4 साल के बच्चे के साथ भी मेरी संवेदना है, जो अपने पिता को सिर्फ इसलिए नहीं जानता होगा, क्योंकि उसकी घिनौनी मां ने उसके लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी।”
एक्टिविस्ट बरखा त्रेहन भी इस मामले को लेकर गंभीर है। उनका कहना है कि “आज पुरुषों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ रहे हैं। अतुल सुभाष कोई पहला नाम नहीं है। अतुल जैसे लाखों पुरुषों का जीवन दहेज व घरेलू हिंसा से जुड़े कानून के दुरुपयोग की चपेट में आकर बर्बाद हो चुका है। इस मामले का त्वरित संज्ञान लेना अनिवार्य है।”
गौरतलब है कि पूर्व में महिलाओं के खिलाफ हो रहे शोषण को देखते हुए घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामलों में सख्ती बरती गई थी। कानून विशेषज्ञों की मानें तो तब समय की मांग कुछ और थी। ऐसा करना तब जरूरी थी। हालांकि, अब समय बदलने के साथ चीजों को संशोधित करने की जरूरत है। महिलाएं अब ज्यादातर जगहों पर सशक्त हैं। समानता के साथ जीवन यापन कर रही हैं। ऐसे में दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा व अलगाव से जुड़े मामलों की समीक्षा करना चाहिए।
दहेज उत्पीड़न के मामले पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट
बीते दिन मंगलवार को अतुल सुभाष (Atul Subhash) की आत्महत्या से जुड़ी खबर आने के बाद सुप्रीम कोर्ट भी दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामले को लेकर सख्त हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने स्पष्ट किया है कि “दहेज उत्पीड़न के मामलों में सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे मामलों में निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक भागीदार बनाना सामान्य बात हो गई है। यदि बिना आरोप के पारिवारिक सदस्यों का नाम मामले में जोड़ा जाता है तो इसपर रोक लगाया जाना चाहिए। बिना किसी ठोस सबूत व आरोपों के मामलों में कार्रवाई का आधार नहीं माना जा सकता है।”
Atul Subhash के भाई की शिकायत पर दर्ज हुआ मामला!
टेक एक्सपर्ट अतुल सुभाष (Atul Subhash) दुखद मृत्यु के बाद उनका परिवार सदमे में है। समस्तीपुर में उनके पैतृक निवास पर मातम पसरा है। जानकारी के मुताबिक पुलिस ने अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़े मामले में उनके भाई बिकास कुमार का पक्ष जाना है। बिकास कुमार की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, निशा सिंघानिया, अनुराग और सुशील सिंघानिया के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 व 3(5) में मामला दर्ज किया गया है।