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Maharashtra News: महाराष्ट्र में पावर गेम शुरू, विभागों को लेकर NCP-शिवसेना में टकराव, वित्त विभाग पर मचा घमासान

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Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार की एंट्री के बाद पावर गेम शुरू हो गया है। विभागों को लेकर NCP (Nationalist Congress Party) और शिवसेना में आमने-सामने आ गए हैं। विभागों के बंटवारे को लेकर दोनों गुटों में खींचतान जारी है। पहले ये खबरें सामने आईं थी की एकनाथ शिंदे की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। लेकिन, जब देवेंद्र फडणवीस के दिल्ली जाने की बात सामने आई, तो स्थिति थोड़ी कंट्रोल में नजर आई। फिलहाल, महाराष्ट्र की ये पावर पॉलिटिक्स कहां तक पहुंची है, आइए जानते हैं।

BJP के सामने बड़ी चुनौती

अजित पवार के BJP गठबंधन में शामिल होने के बाद से महाराष्ट्र के CM और डिप्टी CM की चर्चाएं तेज हो गईं थी। लेकिन, BJP के सामने इससे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। BJP ने भले ही दोनों गुटों को बाहें फैलाकर गले लगा लिया हो, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती दोनों गुटों को सरकार में फिट करने की है। अजित पवार के आने से गठबंधन मजबूत जरूर हुआ है, लेकिन BJP को सभी को बीच बैलेंस बनाए रखना होगा, ताकि सरकार में कोई बगापत न हो।

किसका फायदा किसका नुकसान ?

वैसे तो ये तय माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को दिल्ली बुलाया जा सकता है। पिछले कुछ समय से केंद्रीय कैबिनेट में बदलाव की खबरें सामने आ रहीं थी। ऐसे में अगर उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिलती है तो इसका सबसे बड़ा फायदा CM एकनाथ शिंदे को होगा। क्योंकि, सारी पावर उनके हाथ में आ जाएगी और उनका कद और बढ़ जाएगा। महाराष्ट्र में कांग्रेस को छोड़ दें तो मुख्य विपक्षी दल NCP और शिवसेना दोनों गठबंधन में शामिल हो गए हैं। ऐसे में जो गठबंधन का नेतृत्व करेगा, सारी पावर उसी के हाथ में रहेगी। जिसका फायदा एकनाथ शिंदे को चुनाव में मिल सकता है। क्योंकि राज्य में BMC, विधानसभा के अलावा लोकसभा चुनाव भी होने हैं।

वित्त विभाग को लेकर मचा घमासान

अजित पवार के सरकार में शामिल होने के बाद से विभाग के बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। हर तरफ बस एक ही चर्चा हो रही है की कौन सा विभाग किसे मिलेगा ? इसमें सबसे ज्यादा चिंता शिंदे गुट को सता रही है। उन्हें डर है की कई महत्वपूर्ण विभाग उनसे वापस लिए जा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा बवाल वित्त विभाग को लेकर है। क्योंकि अजित गुट शुरू से ही एग्रेसिव मोड मे नजर आ रहा है, इसलिए वित्त विभाग समेत कई विभागों को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। इसी वजह से मंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी अजित गुट के नेताओं को अभी तक विभाग नहीं दिए गए हैं।

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