President’s Address: 18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र को लेकर सुर्खियों का दौर जारी है। इसी क्रम में आज संसदीय परंपरा के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र (लोकसभा व राज्यसभा) को संबोधित किया। अभिभाषण (President’s Address) के दौरान उन्होंने आपातकाल (Emergency) को लेकर अपनी राय रखी जिसके बाद विपक्ष (India Alliance) के नेता भड़क उठे। विपक्षी नेताओं ने इसी क्रम में राष्ट्रपति को NEET 2024, बेरोजगारी व मणिपुर जैसे तमाम मुद्दों पर बोलने की सलाह दे डाली।
अभिभाषण में आपातकाल का जिक्र
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद के संयुक्त सत्र (लोकसभा व राज्यसभा) में अभिभाषण के दौरान आपातकाल (Emergency) का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “1975 में तत्कालीन सरकार द्वारा आपातकाल लगाने से पूरे देश में हाहाकार मचा था। देश में संविधान लागू होने के बाद भी इस पर अनेक बार हमले हुए।” राष्ट्रपति ने इस दौरान आपातकाल को संविधान पर सीधा हमला और लोकतंत्र का काला अध्याय भी बताया।
Emergency का जिक्र सुन भड़का विपक्ष
राष्ट्रपति के अभिभाषण में आपातकाल (Emergency) का जिक्र सुन विपक्ष (India Alliance) के तमाम नेता भड़क उठे और तीखी प्रतिक्रिया देने लगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लोकसभा सांसद शशि थरूर ने राष्ट्रपति की अभिभाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “49 साल बाद अभिभाषण में आपातकाल के बारे में बात करने का कोई तर्क नहीं था।आज NEET परीक्षा, बेरोजगारी व मणिपुर जैसे मुद्दों पर बोलना चाहिए था। इसके अलावा भारत-चीन सीमा से जुड़े मुद्दे भी अभिभाषण में उठाए जाने चाहिए थे।”
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस संबंध में कहा कि “संसद के दोनों सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण से हमें उम्मीदें थीं लेकिन निराशा हाथ लगी। उन्होंने कुछ ऐसी बातें कहीं जिनकी जरूरत नहीं थी।”
राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर शिवसेना (UBT) गुट के नेता व राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि “यह अब राष्ट्रपति का संबोधन नहीं है बल्कि 10 साल से यही पीएम मोदी का संबोधन है। पीएम जो चाहेंगे वही अभिभाषण में निकलेगा।” इस दौरान उन्होंने वर्तमान सरकार को अल्पमत सरकार करार देते हुए कहा कि “पीएम मोदी पहले ही बहुमत खो चुके हैं, लेकिन अभिभाषण में उसका कोई जिक्र नहीं था और आज 50 साल बाद भी इमरजेंसी की बात हो रही है। पिछले 10 साल से भी देश में इमरजेंसी है, उस पर क्या कहेंगे?”
अल्पसंख्यकों या बेरोजगारों का जिक्र नहीं
राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर AIMIM चीफ व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रपति के संबोधन में अल्पसंख्यकों या बेरोजगारी का कोई जिक्र नहीं था। अमेरिकी विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन ने कल ही कहा कि भारत और धार्मिक स्थलों में नफरत फैलाने वाले भाषण में वृद्धि हुई है।”
AIMIM चीफ ने इस दौरान अभिभाषण को नई बोतल में पुरानी शराब करार दिया और NEET के साथ पेपर लीक जैसे मुद्दों पर विचार करने की सलाह दे दी।