Punjab News: ‘सतलुज यमुना लिंक’ (SYL) के मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बड़ी बात कही। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स (ट्वीट) के माध्यम से विपक्ष के कई बड़े नेताओं को राडार पर लिया। देखा जाए तो पंजाब और हरियाणा (Haryana) के बीच सतलुज यमुना लिंक (SYL) का विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में सीएम ने पंजाब के हित में बात करते हुए बुधवार 11 अक्टूबर को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर बादल, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और राज्य कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग सहित प्रताप बाजवा को ‘सतलुज यमुना लिंक’ (SYL) का पाठ पढ़ाया।
आखिर क्या है एसवाईएल नहर विवाद?
‘सतलुज यमुना लिंक’ (SYL) अब इतना बढ़ चुका है, कि इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से नहर निर्माण को लेकर विवाद सुलझाने को कहा था। इसमें दोनों ही राज्यों के सीमावर्ती इलाकों का आकलन के लिए कहा गया था। बता दें कि ‘सतलुज यमुना लिंक’ (SYL) नहर विवाद बहुत पुराना है। इसमें रावी और व्यास नदियों के पानी का सही उपयोग को लेकर एक नहर की परिकल्पना की गयी। ऐसे में तब बनाने वाली 214 किलोमीटर लंबी इस नहर का फायदा दोनों ही प्रदेशों (हरियाणा-पंजाब) को मिलता। लेकिन समय निकलता गया और वर्ष 1982 में जब पंजाब ने इस पर निर्माण कार्य शुरू किया तब इसे रोक दिया गया। बता दें कि पंजाब में यह नहर 122 किलोमीटर की रूपरेखा तय की गयी थी।
वहीं हरियाणा को 92 किलोमीटर बनाने के लिए कहा गया था। तब हरियाणा ने इसे पूरा भी कर लिया था। लेकिन अब ये विवाद और भी के कारणों की वजह से बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सतलुज यमुना लिंक’ (SYL) को लेकर पंजाब के मुखिया ने कमर कस ली है।
सीएम मान के निशाने पर रहे विपक्ष के कई बड़े नेता, ट्वीट में लिखा-
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट में लिखा, “माननीय सुनील जाखड़ जी, सुखबीर बादल जी, बाजवा जी, राजा वड़िंग जी, थोड़ी बहुत शर्म नाम की चीज घर से लेकर चलते हो या नहीं?? चांदी की कस्सी से टक लगाने वाली फोटो में कैप्टन के साथ बलराम जाखड़ जी भी खड़े हैं! देवीलाल ने हरियाणा विधानसभा में प्रकाश सिंह बादल की SYL के सर्वे करने की अनुमति देने की प्रशंसा की. सुखबीर सिंह गुड़गांव के Oberoi होटल की फ़र्द लेकर आना.”
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, “जहां तक पानी की बात है, तो उसकी चिंता मत करो, बचपन में भी मेरी ड्यूटी खेत की निगरानी के लिए लगती थी, कि खाल में कोई छेद न पड़ जाए.. परमात्मा ने आज भी मेरी ड्यूटी खाल पर ही लगाई है, बस उस खाल का नाम ‘सतलुज’ है. 1 नवंबर को अपने पुरखों द्वारा कुर्सी के लिए किए गए कुर्सीनामे ज़रुर साथ लेकर आना, ताकि मेरे वतन पंजाब के लोगों को भी पता चले कि ‘कुर्बानी’ देने की बात कह कर कितनी बार उनकी कुर्बानी ली गई.”
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