Punjab News: कई किसान संगठन एमएसपी कानून को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे है। कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को दुबारा व्यवस्थित करने के उद्देश्य से, सी2+50% फॉर्मूला लागू करने के सरकार के फैसले से पंजाब और मध्य प्रदेश के किसानों को लाभ मिलने का अनुमान कम हो। नए फॉर्मूले के बावजूद, इन राज्यों में किसानों को आगामी विपणन सीज़न में मौजूदा योजना के समान रिटर्न ही मिलने की उम्मीद है।
MSP के कानून में क्या है चुनौतियां
C2+50% फॉर्मूले को लागू करने में एक बड़ी बाधा विभिन्न राज्यों में भूमि किराये के आधार पर कीमतें निर्धारित करने का जटिल कार्य है। यह नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि भूमि का किराया एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में काफी भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, जहां मुंबई या दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों के आसपास भूमि किराया बढ़ रहा है, वहीं ओडिशा या मणिपुर जैसे ग्रामीण इलाकों में यह काफी कम है।
Punjab News: MSP पर क्या है ताजा हालात?
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के विश्लेषण से पता चलता है कि पंजाब (Punjab News)और मध्य प्रदेश में किसानों को पहले से ही एमएसपी दरें प्राप्त होती हैं, जो व्यापक लागत (सी2) का 50% से अधिक है। उदाहरण के लिए, पंजाब में गेहूं के लिए मौजूदा एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल है, जो सी2+50% की गणना 1503 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक है।
Punjab News: क्षेत्रीय असमानताएं
इसके विपरीत, बिहार या पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में किसानों को व्यापक लागत से 50% से कम एमएसपी दर मिलती है। बिहार और पश्चिम बंगाल में गेहूं की खेती की व्यापक लागत क्रमश 1745 रुपये और 2003 रुपये प्रति क्विंटल है, जो प्रस्तावित सी2+50% फॉर्मूले की तुलना में कमी का संकेत देता है।
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