Punjab News: धान की फसल कटने के बाद अक्सर आपने देखा होगा, कि खेतिहर किसान पराली जलाने लग जाते हैं। जिससे की अधिक मात्रा में वायु प्रदूषित हो जाता है। ऐसे में आसपास के पड़ोसी राज्य एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगते हैं। इसी पर लगाम लगाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री और अधिकारियों ने नया प्लान बनाया है। जिसके तहत पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आएगी।
वायु प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति – (पंजाब अधिकारी)
पंजाब के अधिकारियों का मानना है, कि वह धान की तेजी से पकने वाली फसल की इस बार बुवाई करेंगे। जिसके कारण समय से पहले ही उसकी कटाई हो जाने के बाद और धन की अलग किस्म की फसल होने के कारण वह जल्दी निष्क्रिय हो जाएगी। ऐसे में अधिकारियों का मानना है, कि पराली जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आएगी। जानकारी के मुताबिक पंजाब में अकेले 32 लाख हेक्टेयर की जमीन पर धन की खेती होती है।
वहीं पंजाब के सीएम मान ने आगामी साल से पूसा-44 किस्म धान की फसल पर रोक लगा दिया है। दरअसल पूसा-44 धान एक तो पकने में काफी समय लेता है, दूसरा वह पानी भी अधिक मात्रा में अवशोषित करता है। इसलिए मान सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। देरी से पकने के कारण अक्सर किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली में आग लगा देते हैं।
हरियाणा में पराली जलाने पर होगी सख्त कार्रवाई – (मुख्य सचिव)
वायु प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति पाने के लिए हरियाणा सरकार ने अभी अहम कदम उठाए हैं। खबरों की मानें तो इस मामले पर मुख्य सचिव संजीव कौशल ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए किसानों से अपील किया, कि वह पराली को न जलाएं। वहीं उन्होंने अधिकारियों को ढिलाई बरतने पर सख्त कार्रवाई के सन्देश दे दिए हैं। ऐसे में अब माना यह जा रहा है, कि यदि कोई अधिकारी इस मामले में लापरवाही बरतेगा तो उसके खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए उन्होंने कहा अधिकारी ब्लॉक से लेकर ग्राम स्तर तक इन सभी बातों को किसानों तक पहुंचाएं।
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