Bhagwant Mann: सिख समुदाय के लिए आज का दिन बेहद खास है। दरअसल, आज सिख सल्तनत की नींव रखने वाले महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) की जयंती है। महाराजा रणजीत सिंह की जयंती के अवसर पर लोग उनका स्मरण कर रहे हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने भी इस खास अवसर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सीएम भगवंत मान का कहना है कि “सिख साम्राज्य के स्वर्ण युग के संस्थापक शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जी के जन्मदिन पर सभी को बधाई।” सीएम मान ने लोगों से महाराजा रणजीत सिंह द्वारा दिखाए मार्ग पर चलने की अपील भी की है।
Maharaja Ranjit Singh की जयंती पर CM Bhagwant Mann की प्रतिक्रिया
महाराजा रणजीत सिंह की जयंती पर मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट जारी किया गया है। इस पोस्ट के माध्यम से लिखा गया है कि “सिख साम्राज्य के स्वर्ण युग के संस्थापक शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जी के जन्मदिन पर सभी को बधाई। सिख सल्तनत की नींव रखने वाले महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) जी हमेशा सच्चाई का साथ देते थे और कभी भी किसी कमजोर व्यक्ति को धक्का नहीं लगने देते थे।”
‘AAP पंजाब’ ने शेर-ए-पंजाब को किया नमन
पंजाब की सत्तारुढ़ दल आम आदमी पार्टी (AAP) के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी महाराजा रणजीत सिंह के सम्मान में एक पोस्ट जारी किया गया है। इस पोस्ट में लिखा गया है कि “शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) जी को उनकी जयंती पर हार्दिक नमन। उनके द्वारा स्थापित स्वतंत्र सिख राज्य की आज भी पूरी दुनिया में मिसाल दी जाती है। अपनी अद्वितीय वीरता और न्यायप्रियता के कारण वे सभी पंजाबियों के लिए अपार प्रेरणा के स्रोत हैं।”
महाराणा रणजीत सिंह का ऐतिहासिक सफर!
महाराणा रणजीत सिंह इतिहास के विद्यार्थियों के लिए बेहद पसंदीदा और रोचक विषयों में से एक हैं। विद्यार्थी उनके बारे में पढ़ना और उनके शासन काल पर खोज-बीन करने को इच्छुक नजर आते हैं। ऐतिहासिक पुस्तकों की मानें तो उनका जन्म 13 नवंबर 1780 को पंजाब के गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। अल्पआयु में ही 12 अप्रैल 1801 को रणजीत सिंह की पंजाब के महाराज के तौर पर ताजपोशी हुई। उन्होंने जल्द ही लाहौर को फतेह कर लिया और अमृतसर को भी अपने साम्राज्य में मिला लिया।
रणजीत सिंह ने 1807 में अफगानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर कसूर पर कब्जा किया। इसके बाद उनका विजय रथ जारी रहा और 1818 में मुल्तान और 1819 में कश्मीर उनके कब्जे में आया। अपने 4 दशकों के शासन काल में महाराजा रणजीत सिंह ने जनता की भलाई के लिए खूब काम किए। उनके लिए मानवता का मार्ग स्थापित किया। हालांकि, 27 जून, 1839 को उनका निधन हो गया जिसके बाद से सिख साम्राज्य के पतन की शुरुआत देखने को मिली।