Punjab News: 13 दिसंबर 2001 भारत के लिए उन खौफनाक तारिखों में से एक है जब भारतीय संसद को आतंकियों ने निशाना बनाया था। इस दौरान सदन में तैनात सुरक्षाकर्मी समेत कुल 9 लोग इस हमले की चपेट में आने से मारे गए थे। पंजाब सरकार की ओर से सीएम मान सरकार द्वारा इस आतंकी हमले की बरसी पर शहीद हुए सभी जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। पंजाब मुख्यमंत्री दफ्तर के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से इस संबंध में जानकारी दी गई है। उस दौरान लिखा गया कि “13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले में कई लोगों की जान चली गई थी। सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार उन सभी बहादुर दिलों को श्रद्धांजलि अर्पित करताी है जिन्होंने लोकतंत्र की पवित्रता की रक्षा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया।”
गोलियों की गूंज से दहला था सदन
13 दिसंबर 2001 की वो तारीख भारतीय सदन के लिए बेहद खौफनाक रही थी। जब आतंकियों ने सदन पर हमला किया था तब लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित थी। हालाकि इसके बावजूद भारत के कई वरिष्ठ नेता सदन के अंदर ही शीतकालीन सत्र की कार्यवाही में उपस्थित होने के लिए आए थे। हमलावरों की संख्या 5 दर्ज की गई थी और वे होम मिनिस्ट्री का फर्जी स्टीकर लगाकर सफेद एम्बेसडर कार से संसद भवन में दाखिल हुए थे। सदन में दाखिल होने के दौरान ही आतंकियों की कार गलती से उपराष्ट्रपति कृष्णकांत की खड़ी कार से टकरा गई जिसके बाद से उन पर शक और गहरा हो गया। इसके तुरंत बाद आतंकी गाड़ी से बाहर निकले और AK-47 राइफल के साथ पिस्टल और हैंडगंस से गोलियां बरसानी शुरू कर दी। आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच जंग का ये क्रम करीब 45 मिनट तक चला था जिसमें सुरक्षाकर्मियों के साथ कुल 9 लोग मारे गए थे।
अफजल को हुई थी फांसी
भारतीय संसद पर हमला करने का मामले सामने आने के बाद इसका आरोप लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकी संगठनों पर लगाया गया। हालाकि लश्कर ने इस आतंकी हमले में अपने किसी तरह की भूमिका से इनकार कर दिया। इसके बाद से मामले की स्पेशल जांच में पता चला कि ये सदन पर हमला करने वाले आतंकियों को पाकिस्तान से गाइडेंस मिला था। इस प्रकरण में बाद में जैश के चार आतंकियों को पकड़ा गया जो कि दोषी भी पाए गए। इनमें से एक आतंकी अफजल गुरु को सदन पर हमला करने के आरोप में फांसी भी हुई थी।
ये जवान हुए थे शहीद
13 दिसंबर 2001 के दिन भारतीय सदन पर हुए आतंकी हमले के दौरान कुल 9 लोग मारे गए थे। इसमें कमलेश कुमारी (सीआरपीएफ कांस्टेबल), देशराज (सीपीडब्ल्यूडी के माली), ओम प्रकाश, बिजेंदर सिंह और घनश्याम (दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल) और जगदीश, मातबर, नानक चंद और रामपाल (दिल्ली पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक) जैसे जवान शामिल थे।
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