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Punjab News: ‘बाबा बुड्ढा जी’ की स्मृति में आयोजित जोड़ मेला से पहले CM Bhagwant Mann की प्रतिक्रिया, बोले ‘सिख इतिहास के..’

CM Bhagwant Mann ने आज 'बाबा बुड्ढा जी' की स्मृति में आयोजित जोड़ मेला से पहले अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।

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सांकेतिक तस्वीर

Punjab News: पंजाब में आज सिख इतिहास के महान एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व ब्रह्मज्ञानी ‘बाबा बुड्ढा जी’ का स्मृति दिवस मनाया जा रहा है। ‘बाबा बुड्ढा जी’ के स्मरण में इसी क्रम में जोड़ मेला का आयोजन होना है जिसको लेकर पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में धूम है। मान्यता है कि ‘बाबा बुड्ढा जी’ को सिखों के प्रथम पातशाह श्री गुरु नानक देव जी से लेकर छठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी तक जैसे गुरुओं की सेवा करने का सौभाग्य मिला था। इसी क्रम में सभी उन्हें पूज्यनीय मानते हैं और उनका स्मरण करते हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (CM Bhagwant Mann) ने भी जोड़ मेला से ठीक पहले अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर ‘बाबा बुड्ढा जी’ का स्मरण किया है। उन्होंने लिखा है कि “सिख इतिहास के महान एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व पूर्ण ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्ढा जी के पावन दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।” (Punjab News)

CM Mann की खास प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज ‘बाबा बुड्ढा जी’ के पावन दिवस पर उनका स्मरण करते हुए अपनी खास प्रतिक्रिया जाहिर की है। सीएम मान के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखा गया है कि “पूर्ण ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्ढा जी सिख इतिहास के महान एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं। उन्हें प्रथम पातशाह श्री गुरु नानक देव जी से लेकर छठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी तक गुरुओं की सेवा करने का गौरव प्राप्त हुआ। आज बाबा बुड्ढा जी (रामदास) के पावन दिवस आयोजित आज जोड़ मेला पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।”

‘100 वर्षों से अधिक जिया आदर्श जीवन’

सिख समुदाय के बीच आध्यात्मिक व्यक्तित्व के रूप में अपनी छाप छोड़ चुके ‘बाबा बुड्ढा जी’ को ब्रह्मज्ञानी की संज्ञा दी जाती है। उन्हें सिख धर्म के पहले छह गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त है। मान्यता है कि वे गुरु नानक (सिखों के पहले गुरु) के सबसे करीबी साथियों में से एक थे। बाबा बुड्ढा जी ने 100 वर्षों से अधिक की आयु तक एक आदर्श सिख का जीवन जिया था और उनके अंदर खूब सेवा भावना थी। यही वजह है कि उन्हें सिखों के बीच सम्मानित और पवित्र संतों में से एक माना जाता है और उनकी स्मृति में जोड़ मेला के दौरान कीर्तन और लंगर सेवा जैसे आयोजन किए जाते हैं।

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