Punjab News: सर्दी दस्तक दे चुकी है। बदलते मौसम के कारण अब धुंध और कोहरा आम तौर पर सड़कों पर छाया नजर आएगा। कोहरे के कारण सड़क पर विजिबिलिटी बेहद कम हो जाती है जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ़ती है। हालांकि, पंजाब (Punjab News) वासियों के लिए इस संदर्भ में एक राहत भरी खबर सामने आई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) के निर्देश पर राज्य में सड़क सुरक्षा फोर्स (SSF) की तैनाती की गई है। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में तैनात एसएसएफ लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से जारी किए गए आंकड़े के अनुसार पिछले 8 महीनों में एसएसएफ ने सड़क पर बेहद अच्छे तरह से मोर्चा संभाला है। यही वजह है कि हाईवे पर होने वाली घटनाओं के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 45.55 प्रतिशत की कमी आई है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान का प्रयास रंग ला रहा है। इसके पीछे सड़क दुर्घटना की चपेट में आने वाले लोगों का जीवन बचने से जुड़ा तर्क दिया जा रहा है।
Punjab News: सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत की संख्या में भारी कमी!
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 8 महीने में सड़क सुरक्षा फोर्स (SSF) ने सड़क दुर्घटना में घायल हजारों लोगों की जिंदगी बचाई है। 1 फरवरी से 31 अक्टूबर 2023 तक मार्ग दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 1686 थी। वहीं एसएसएफ की तैनाती के बाद 1 फरवरी से 31 अक्टूबर 2024 तक मृतकों की संख्या 918 दर्ज की गई है। ऐसे में यदि फरवरी से अक्टूबर 2023 और फरवरी से अक्टूबर 2024 की तुलना करें तो मृतकों की संख्या में 45.55 फीसदी कमी आई है। एसएसएफ द्वारा बचाए गए लोग किसी के घर का चिराग तो किसी के लिए दो वक्त की रोटी की उम्मीद हैं।
जनवरी 2024 में हुआ SSF का गठन
भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने जनवरी 2024 में सड़क सुरक्षा फोर्स का गठन किया था। ऐसा करने वाले पंजाब देश का पहला राज्य बना था। इस खास उपलब्धि और शुरुआत के लिए पंजाब सरकार की भर-भरकर प्रशंसा हुई।
बीतते समय के साथ एसएसएफ की तैनाती भी बढ़ी। वर्तमान में इस खास फोर्स के पास 100 से ज्यादा वाहन हैं। एसएसएफ के जवान पंजाब के हाइवे सड़कों पर औसतन हर 30 किमी पर तैनात हैं। ये जवान मार्ग दुर्घटना की चपेट में आने वाले घायलों की सुरक्षा के लिए काम करते हैं। एसएसएफ ये सुनिश्चित करती है कि घायलों को घटना के 15 मिनट के अंदर अस्पताल पहुंचाया जाए ताकि उन्हें प्राथमिक उपचार मिल सके।