Punjab News: पंजाब को सामान्यतः कृषि प्रधान राज्य का दर्जा दिया जाता है और दावा किया जाता है कि राज्य की ज्यादातर आबादी आज भी अपनी आय के लिए कृषि पर ही निर्भर है। हालाकि बदलते समय के साथ ट्रेंड में थोड़ा बदलाव देखने को भी मिला है और Punjab के लोग अब विदेशों की ओर तेजी से प्रवास कर रहे हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा किए गए एक ताजा रिसर्च से जुड़े आंकड़े आपको हैरान कर सकते हैं। इस रिसर्च के तहत विगत 30 सालों में पंजाब के 56% परिवारों ने अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए पैसे उधार लिए हैं। वर्तमान की बात करें तो Punjab के हर परिवार पर विदेश प्रवास के नाम पर अभी 3.13 लाख रुपए का कर्ज है। वहीं ज्यादातर परिवार ऐसे भी हैं जिन्होंने विदेशों में सेटल होने के लिए अपने संपत्ति तक बेच दिए हैं। इसके तहत रिसर्च रिपोर्ट में लगभग 5600 करोड़ रुपये की संपत्ति बेचे जाने का जिक्र है जिसमे सोना, खेत, ट्रैक्टर व अन्य संपत्ति शामिल हैं।
विदेशों की ओर प्रवास कर रहे Punjab के नागरिक
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने अपने रिसर्च के तहत राज्य के 22 जिलों के 44 गांवों में करीब 9492 घरों में से कुल 640 प्रवासियों और 660 गैर-प्रवासी परिवारों का साक्षात्कार किया है। इसके बाद पेश किए गए आंकड़े के तहत लोग तेजी से पंजाब को छोड़कर विदेशों की ओर प्रवास कर रहे हैं। इसमें 42 फीसदी लोगों का पसंदीदा देश कनाडा है तो वहीं 16 फीसदी लोग दुबई, 10 फीसदी लोग ऑस्ट्रेलिया, 6 फीसदी लोग इटली और 3 फीसदी लोग यूरोप-इंग्लैंड की ओर पहुंचे हैं। ये आंकड़ें 1990 से 2022 के बीच हुए पलायन की बात करते हैं।
PAU द्वारा पेश किए गए आंकड़े के तहत 74 फीसदी पलायन तो वर्ष 2016 के बाद हुआ है। पंजाब के अलग-अलग शहरों में प्रवास की बात करें तो अमृतसर, गुरदासपुर, शहीद भगत सिंह नगर और फिरोजपुर जैसे जिलों में प्रवास की सीमा 30 प्रतिशत तक है।
क्यों हो रहा पलायन?
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा किए गए रिसर्च के तहत पंजाब से हो रहे पलायन के कारणों का जिक्र भी किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार में लगभग तीन चौथाई प्रवासी परिवारों ने प्रवासन के मूल कारण में रोजगार के अवसरों की कमी और कम आय जैसे मुद्दों को गिनाया है। वहीं सिस्टम की खराबी व स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की दिक्कतों के कारण भी पलायन होने का जिक्र है।
PAU के इस अध्ययन के अनुसार 1990-2022 के बीच 19.38 प्रतिशत प्रवासी ऐसे थे जिन्होंने विदेश प्रवास के लिए अपनी करीब 5639 करोड़ रुपये की संपत्ति बेच दी जिसमे भूमि, प्लॉट, घर, सोना, कार और ट्रैक्टर जैसे संपत्ति शामिल हैं। विदेश प्रवास के लिए ही राज्य स्तर से भी लोगों ने 14342 करोड़ रुपये उधार लिए।
रिसर्च रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि सरकारी हस्तक्षेप के साथ कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है और साथ ही सरकार को कौशल विकास, उद्योग और व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर देने की आवश्यकता भी है जिससे पलायन को रोका जा सके।
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