Saturday, October 19, 2024
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Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शहीद ‘शिवराम हरि राजगुरु’ के 116वीं जयंती पर किया नमन, जानें पूरी डिटेल

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Valmiki Jayanti 2024: सोशल मीडिया पर आज रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी का नाम तेजी से ट्रेंड कर रहा है। इसका खास कारण है महर्षि वाल्मिकी (Maharishi Valmiki) जी की जयंती।

Punjab News: भारत के आजादी में ऐसे कई बड़े क्रांतिकारी हुए जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान दिया है। उनमे से एक नाम है ‘शिवराम हरि राजगुरू‘ जिनका नाम देश को आजाद करवाने में अमर है। हम सभी ने भगत सिंह, खुखदेव और राजगुरू का नाम हमेशा सुना है। जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में अग्रेजों से लोहा लेते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे। बता दें कि आज राजगुरू की 116वीं जयंती है। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस अवसर पर उन्हें नमन किया।

सीएम मान ने राजगुरू को किया नमन

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि

“महान देशभक्त, क्रांतिकारी योद्धा शहीद शिवराम राजगुरु की जयंती पर उन्हें सादर नमन, इन महान शहीदों की देशभक्ति की भावना, जिन्होंने भारत की आजादी के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका संघर्ष हमारे लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत है”।

24 अगस्त 1908 को राजगुरू का हुआ था जन्म

मालूम हो कि आज महान क्रांतिकारी राजगुरू की 116वीं जयंती है। राजगुरू का जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था। उनका पूरा नाम हरि शिवराम राजगुरु था। चलिए आपको बताते है राजगुरू के बारे में कुछ रोचक तथ्य।

राजगुरू के बारे में कुछ रोचक तथ्य

●हरियाणा के हिसार में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है जिसे राजगुरु मार्केट के नाम से जाना जाता है। 1953 में, इस परिसर का नाम उनके सम्मान में रखा गया था।

●महज 15 साल की उम्र में वह पुणे से वाराणसी पढ़ने के लिए आ गए थे। उन्होंने वाराणसी के एक स्कूल में प्रवेश लिया जहां उन्हें अपने साथी क्रांतिकारी मिले। ऐसा कहा जाता है कि वाराणसी पहुंचने के लिए वह 6 दिन पैदल चले थे।

●उनकी मुलाकात भगत सिंह और सुखदेव से हुई जिसके बाद उन्होंने 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जे.पी सॉन्डर्स की हत्या में भाग लिया।

●बता दें कि महज 23 साल की ही उम्र में शिवराम राजगुरु देश के लिए शहीद हो गए। वह एक निडर भावना और अदम्य साहस के लिए जाने जाते थे।

राजगुरू के अदम्य साहस और निडर भावना के लिए देश हमेशा उन्हें नमन करता रहेगा। 23 मार्च 1931 की शाम को लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिहं, खुखदेव और राजगुरू को फांसी दे दी गई थी।

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