Valmiki Jayanti 2024: सोशल मीडिया पर आज रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी का नाम तेजी से ट्रेंड कर रहा है। इसका खास कारण है महर्षि वाल्मिकी (Maharishi Valmiki) जी की जयंती। दरअसल आज रात 8:40 मिनट से शुरू हो रही वाल्मिकी जयंती की तिथि 17 अक्टूबर यानी आगामी कल शाम 4:50 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में आगामी कल 17 अक्टूबर को वाल्मिकी जयंती (Valmiki Jayanti 2024) मनाया जाएगा।
वाल्मिकी जयंती की तिथि प्रारंभ होने से पहले से ही देश के विभिन्न हिस्सों में शोभा यात्रा (Shobha Yatra) निकाली जा रही है। इसी क्रम में पंजाब के जालंधर (Jalandhar, Punjab) में भी वाल्मिकी जयंती से पूर्व शोभा यात्रा निकाली गई जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) भी शामिल हुए। सीएम मान ने वाल्मिकी जयंती शोभा यात्रा का हिस्सा बन कर महर्षि का आशीर्वाद लिया और कार्यक्रम के आयोजकों के प्रति आभार जताया।
Valmiki Jayanti 2024- शोभा यात्रा में शामिल हुए CM Bhagwant Mann
वाल्मिकी जयंती (Valmiki Jayanti 2024) के उपलक्ष्य में आज पंजाब के जालंधर जिले में शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभा यात्रा में मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) भी शामिल हुए हैं। सीएम मान ने इस यात्रा की फुटेज अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से जारी की है। शोभा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने महर्षि वाल्मिकी (Maharishi Valmiki) का आशीर्वाद भी लिया और पंजाब के उन्नति के लिए प्रार्थना की।
भगवान वाल्मीकि उत्सव कमेटी की ओर से आयोजित इस शोभा यात्रा में मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा जालंधर से सांसद चरणजीत सिंह चन्नी, कैबिनेट मंत्री मोहिंदर भगत व अन्य कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
Valmiki Jayanti- धार्मिक मान्यता
रामायण (Ramayana) के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती के रूप में मनाए जाने वाले वाल्मिकी जयंती (Valmiki Jayanti) का अपना खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये खास दिन वाल्मिकी प्रभु के नाम समर्पित रहता है और उनकी पूजा अराधना कर रामायण की चौपाई गाई जाती है।
वाल्मिकी जी के महर्षि (Maharishi Valmiki) बनने के पीछे भी एक अद्भुत घटना है जिसका विवरण कर उनके जीवन पर प्रकाश डाला जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वाल्मीकि पहले एक डाकू थे, जिनका नाम रत्नाकर था। वे अपने परिजनों का भरण-पोषण करने के लिए जंगल में आने वाले लोगों से लूट-पाट करते थे। इसी दौरान एक दिन नारद मुनि भी जंगल में पहुंचे। रत्नाकर ने उन्हें देखते ही बंदी बना लिया।
रत्नाकर का बंदी बन चुके नारद मुनि ने उनसे पूछा कि इस पाप के लिए क्या तुम्हारा परिवार भी इसमें भागीदार बनेगा? रत्नाकर, नारद प्रभु के सवाल का जवाब जानने अपने घर पहुंचे जहां उन्हें ‘ना’ के रूप में उत्तर मिला। नारद मुनि के सवाल और रत्नाकर के परिजनों के जवाब ने उन्हें पूरी तरह से बदल दिया और वे सब कुकृत्य छोड़ तपस्या में लीन हो गए।
तपस्या और गहन साधना के दौरान ही रत्नाकर के चारो तरफ चींटियों ने अपना घर बना लिया और वह ‘वाल्मीकि’ (चींटी के घर से निकला हुआ) कहलाए। इसके बाद वाल्मिकी ने रामायण की घटनाओं का दिव्य विवरण करते हुए महा पवित्र ग्रंथ की रचना की। वाल्मिकी जी की तपस्या, साधना व त्याग का स्मरण करते हुए हर वर्ष वाल्मिकी जयंती मनाई जाती है।