Qatar Death Verdict: कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। कतरी कोर्ट के इस फैसले पर भारत ने हैरानी जताई है। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात ये है कि कतर के साथ भारत के रिश्ते अच्छे माने जाते हैं। हालांकि, इसके बाद भी कतर ने आठों भारतीयों को मौत की सजा सुनाई है। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि कतर की अदालत के जरिए मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से हम स्तब्ध हैं। परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम से संपर्क किया जा रहा है। सभी कानूनी विकल्पों को भी देखा जा रहा है।
क्या है आरोप?
दरअसल, नौसेना के आठ पूर्व कर्मचारी कतर की एक कंपनी में काम कर रहे थे। इन लोगों के ऊपर जासूसी का आरोप है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इन पर एक सबमरीन मिशन के लिए जासूसी करने का आरोप है। पिछले साल 30 अगस्त को कतर के अधिकारियों ने जासूसी के आरोपों में आठों भारतीयों को गिरफ्तार किया था। तभी से ये लोग कतर की कैद में बंद हैं। इनके खिलाफ मुकदमे की शुरुआत इस साल 29 मार्च को शुरू हुई थी और अब इन्हें मौत की सजा सुनाई गई है।
इस कंपनी में करते थे काम
भारतीय नौसेना के आठों पूर्व कर्मी कतर में अल दहरा सिक्योरिटी कंपनी में काम किया करते थे। ये सभी पिछले कुछ सालों से कतर के नौसैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे थे। पिछले साल इन पर जासूसी का आरोप लगा था, जिसके बाद इन्हें हिरासत में ले लिया गया था। यहां हैरान करने वाली बात ये है कि अभी तक ये सार्वजनिक नहीं किया गया है कि भारतीयों के खिलाफ क्या-क्या आरोप हैं।
कौन हैं ये आठ भारतीय?
भारतीय नौसेना के जिन आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई गई है, उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन सभी ने भारतीयों ने नौसेना में लगभग 20 साल तक काम किया और ये सभी कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
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