Rahul Gandhi: 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र 24 जून से शुरू हो चुका है। इस दौरान सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक के तमाम नेताओं व राजनीतिक पार्टियों के फैसले चर्चा में है। इसमें सबसे अहम है राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाना। बता दें कि राहुल गांधी अपने दो दशकों के राजनीतिक सफर में पहली बार किसी संवैधानिक पद पर पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने लोकसभा के सदस्य व कांग्रेस पार्टी के संगठन से जुड़े अलग-अलग पदों का निर्वहन किया है। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अहम क्यों होता है और इस पद पर बैठने वाले को किस जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ता है।
संवैधानिक पद पर बैठेंगे Rahul Gandhi
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व 2004 से 2024 तक 5वीं बार लोकसभा के सदस्य बने राहुल गांधी को ‘इंडिया ब्लॉक’ की ओर से अहम जिम्मेदारी दी गई है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस संबंध में प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि माहताब को पत्र लिखा जिसे उन्होंने स्वीकारा है। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष का ओहदा बेहद अहम होता है और ये पद कैबिनेट मंत्री के समान होता है। इस पद पर रहने वाले नेता को केंद्रीय मंत्री के समान वेतन, भत्ता और अन्य तमाम सुविधाएं मिलती हैं। इसके अलावा उच्च स्तर की सुरक्षा, मुफ्त हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी।
Rahul Gandhi को मिलेंगे अहम अधिकार
18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए चुने गए राहुल गांधी को अब सामान्य सांसद से इतर, कई अहम शक्तियां व अधिकार मिलेंगे। बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, अब चीफ इलेक्शन कमिश्नर व चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले पैनल का हिस्सा होंगे। इसके अतिरिक्त राहुल गांधी अब NHRC प्रमुख, सेंट्रल विजिलेंस व सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, ED-CBI डायरेक्टर को चुनने वाले समिती के सदस्य भी होंगे। ऐसे में अब इन अहम नियुक्तियों में राहुल गांधी का दखल होगा और PM मोदी को उनके साथ चर्चा करनी होगी।
नेता प्रतिपक्ष बनने वाले परिवार के तीसरे सदस्य
राहुल गांधी गांधी परिवार के तीसरे सदस्य बने हैं जिन्होंने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाली है। इससे पहले उनके पिता राजीव गांधी नेता प्रतिपक्ष के पद पर 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक रह चुके हैं। वहीं उनकी मां सोनिया गांधी भी 13 अक्टूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर रह चुकी हैं।
राजनीति में बढ़ा राहुल गांधी का कद
राहुल गांधी के सियासी सफर को लेकर तमाम तरह की आलोचनाएं व चर्चाएं सुनने को मिलती हैं। उन पर परिवारवाद समेत अन्य कई तरह के आरोप लगते हैं। हालाकि इन सबसे बीच राहुल गांधी ने 2004 में अमेठी से पदार्पण करते हुए लोकसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद 2009 व 2014 की लोकसभा में उन्होंने अमेठी का प्रतिनिधित्व किया और NSUI व यूथ कांग्रेस प्रभारी के तौर पर संगठन से भी जुड़े। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें अमेठी से हार मिली और राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में 2024 की बात करें तो राहुल गांधी अब अपनी परंपरागत सीट रायबरेली का प्रतिनिधित्व करेंगे।
राहुल गांधी के इस सियासी सफर में लोकसभा प्रतिपक्ष का नेता चुना जाना निश्चित रूप से उनके कद को बढ़ाता है। दावा किया जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के तहत राहुल गांधी लोगों से कनेक्शन स्थापित कर पाने में कामयाब रहे हैं जिसके कारण उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ा है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में राहुल गांधी अपने इस पद का निर्वहन कितनी गंभीरता से करते हैं।