CM Gehlot: राजस्थान में सियासी सरगर्मियां तेज है। क्या पक्ष और क्या विपक्ष सभी राजनीतिक रोटियां सेकने में मशगूल है। वजह भी इसकी साफ है, राजस्थान में आगामी विधानसभा के चुनाव होने वाले है। ऐसे में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने राजस्थान में सियासी दांव खेलने के लिए भले ही 19 नए जिलों की घोषणा की हों, लेकिन उनका यह दाव अब ऐसा लगता है कि उल्टा पड़ गया है। उनके इस फैसले से प्रदेश के लोग खुश नहीं हैं , लेकिन जिस तरह अब धरना प्रदर्शन राजस्थान में चल रहे है। ऐसा लगता है सरकार के लिए अब एक नई मुसीबत आ गई है।
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19 नए जिलों की घोषणा पर लोगों की क्या है राय
जब से लोगों को पता लगा है, कि प्रदेश में अब 19 नए जिले बनाए जाएंगे। तब से राजस्थान की जनता नाखुश नजर आ रही। खास करके बात करें दूदू जिले की तो यहां की जनता काफी गुस्से में है, नए जिले की घोषणा के बाद यहां के लोग शामिल होने को तैयार नहीं हैं। इसमें सबसे प्रमुख गांव चाकसू, फागी, फुलेरा जोबनेर, सांभर, बगरू और बस्सी के लोग दूदू जिले में शामिल होने साफ मना कर रहे हैं। जबकि वहीं सांभर में गांव के लोग एक नया जिला बनाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं।
मीटिंग के बाद क्या निष्कर्ष निकला ?
बता दें कि मामले को देखते हुए CM Gehlot ने मुख्यमंत्री आवास जयपुर में सोमवार को बैठक बुलाई थी। इस दौरान इसमें शामिल सभी क्षेत्र के मंत्री- विधायकों से राय ली गयी, कि आखिर क्षेत्र की जनता क्या चाहती है। इस बैठक में शामिल कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया, महेश जोशी, विधायक अमीन कागजी, रफीक खान, गंगा देवी, लक्ष्मण मीणा, गोपाल मीणा और वेद प्रकाश सोलंकी थे। जबकि भरी विरोध प्रदर्शन के चलते दूदू के विधायक बाबूलाल नागर को बैठक में नहीं बुलाया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने सभी क्षेत्रीय विधायक और मंत्रियों को यह आश्वासन दिया कि आपने नए जिलों के सन्दर्भ में जो भी सुझाव (राय ) दिए है उस पर जरूर विचार किया जाएगा। जो कुछ भी जनता के हित में होगा हम वो लागू करेंगे।
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