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Rajasthan में धमाकों के आरोपियों की रिहाई पर CM Gehlot ने AAG को हटाया, बोले- सरकार लेगी ये बड़ा कदम

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Rajasthan: जयपुर सीरियल बम धमाकों में फांसी की सजा पाए आरोपियों के बरी हो जाने के बाद सीएम गहलोत अपनी ही पार्टी के Sachin Pilot के निशाने पर आ गए। इसके बाद सीएम ने देर रात तक अधिकारियों की एक हाई लेवल मीटिंग बुला ली। मीटिंग के बाद उन्होंने राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता को मामले की हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी करने का कारण मानते हुए उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए। उन्होंने इसके साथ ही 2008 के सीरियल बम धमाकों के बरी हुए आरोपियों के खिलाफ SC में एक नई विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने के आदेश जारी कर दिए। बता दें इस मामले में आरोपियों के बरी हो जाने के बाद कांग्रेस के ही सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा था, और दोबारा जांच कराने की मांग की थी।

CM ने AAG की सेवा समाप्त

सीएम गहलोत ने देर रात अधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग बुला ली। इस मीटिंग में राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा, गृह सचिव आनंद कुमार सहित पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा, एडीजी एसओजी-एटीएस अशोक राठौड़,एडीजी इंटेलीजेंस एस सेंगथिर,एडीजी क्राइम दिनेश एमएन, प्रमुख शासन सचिव ज्ञान प्रकाश गुप्ता तथा सचिव गृह (बिधि) रवि शर्मा मौजूद थे। इस बैठक के बाद सीएम ने आरोपियों की  रिहाई के पीछे राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव की हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी को जिम्मेदार माना। साथ ही एएजी की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए।

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सीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी

सीएम ने फिर से SC में एक नई विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने के आदेश जारी कर दिए। ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि “उच्चस्तरीय बैठक में परीक्षण के बाद जयपुर बम ब्लास्ट के मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील का फैसला लिया है। राज्य सरकार सर्वश्रेष्ठ वकील लगाकर पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित करेगी।”

सचिन ने साधा सरकार पर निशाना

ब्लास्ट के आरोपियों के बरी हो जाने पर कांग्रेस के अंदर से ही सरकार को निशाने पर ले लिया गया। राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार से दोबारा जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि 2008 के ब्लास्ट में कितने लोगों की जान चली गई। आरोपियों को पकड़ा गया, मुकदमा भी चला,निचली अदालत ने सजा होने के बाद भी आरोपी बरी हो गए। आखिर राज्य के विधि विभाग और गृह विभाग की भूमिका पर सवाल तो उठेंगे।

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