Khawaja Moinuddin Chishti Dargah: ‘इबादतगाह की मजहबी पहचान को खतरा!’ ये पंक्ति आज सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय है। इसका कारण है अजमेर सिविल कोर्ट (Ajmer Civil Court) का एक कदम। दरअसल, सिविल कोर्ट ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से जुड़े एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ी रेखा खींच दी है। सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने Khawaja Moinuddin Chishti Dargah में महादेव मंदिर होने का दावा से जुड़ी अर्जी को मंजूरी दी है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को लेकर छिड़े चर्चाओं के बीच Congress सांसद इमरान मसूद और AIMIM चीफ ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
Khawaja Moinuddin Chishti Dargah को लेकर छिड़ी चर्चा के बीच क्या बोले Asaduddin Owaisi?
AIMIM चीफ और हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को लेकर छिड़ी चर्चा के बीच अपनी पक्ष रखा है। असदुद्दीन ओवैसी का कहना है “दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां है। पीएम मोदी दरगाह पर ‘चादर’ भेजते हैं। बीजेपी-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर ये नफरत क्यों फैलाई है? निचली अदालतें ‘प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं? इस तरह कानून का राज कहां रहेगा? यह देश के हित में नहीं है। पीएम मोदी और आरएसएस का शासन देश में कानून के शासन को कमजोर कर रहा है।”
Congress सांसद Imran Masood ने उठाए सवाल
सहारनपुर से लोकसभा चुनाव जीत कर सदन पहुंचे इमरान मसूद ने भी Khawaja Moinuddin Chishti Dargah को लेकर छिड़ी चर्चा के बीच सवाल खड़े किए हैं। इमरान मसूद (Imran Masood) का कहना है कि “ऐसी चीजें पूरे देश में आग लगा देंगी। क्या हो रहा है? पीएम मोदी को इस मामले को देखना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए। आप एक पूरे समुदाय को कहां किनारे करना चाहते हैं? केंद्र ने वर्शिप एक्ट 1991 को किनारे रख दिया है। वे (बीजेपी) अपने राजनीतिक फायदे के लिए क्या करेंगे?”
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का बड़ा दावा
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने भी अजमेर सिविल कोर्ट की ओर से जारी नोटिस को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का कहना है कि “मैं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khawaja Moinuddin Chishti) का वंशज हूं। मुझे इसमें पक्ष क्यों नहीं बनाया गया है। हम कानूनी टीम के संपर्क में हैं। देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है। अजमेर का 850 साल पुराना इतिहास है। मैं भारत सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील करता हूं। एक नया कानून बनाया जाना चाहिए। दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए ताकि कोई भी इन जैसे धार्मिक संगठनों पर दावा न कर सके।”