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Khawaja Moinuddin Chishti Dargah में महादेव मंदिर होने का दावा! अजमेर कोर्ट ने दरगाह कमेटी और ASI के नाम जारी किया नोटिस

Khawaja Moinuddin Chishti Dargah: सिविल जज मनमोहन चंदेल ने आज ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में महादेव मंदिर का दावा होने से जुड़े एक याचिका की सुनवाई करते हुए बड़ा कदम उठाया है। अजमेर सिविल कोर्ट की ओर से दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस जारी किया गया है।

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Khawaja Moinuddin Chishti Dargah
फाइल फोटो- Khawaja Moinuddin Chishti Dargah (सांकेतिक)

Khawaja Moinuddin Chishti Dargah: सिविल जज मनमोहन चंदेल, ये नाम आज अजमेर के साथ राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, अजमेर सिविल कोर्ट (Ajmer Civil Court) में जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से जुड़े एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ी बात कह दी है। सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) और अल्पसंख्यक मंत्रालय के नाम एक नोटिस जारी कर दी है। कोर्ट ने इसके साथ ही अजमेर में स्थित Khawaja Moinuddin Chishti Dargah में महादेव मंदिर होने का दावा से जुड़ी याचिका को सुनने योग्य माना है।

Khawaja Moinuddin Chishti Dargah में महादेव मंदिर होने का दावा!

अजमेर सिविल कोर्ट में आज गहमा-गहमी का माहौल था। इसका कारण था एक याचिका जिसमें ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह (Khawaja Moinuddin Chishti Dargah) में महादेव मंदिर होने का दावा किया गया। इस याचिका को सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने न सिर्फ सुनने योग्य माना बल्कि दरगाह कमेटी के नाम नोटिस भी जारी कर दिया। दरगाह कमेटी के अलावा अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) के नाम भी नोटिस जारी किया गया है।

कोर्ट ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से जुड़े मामले में सुनवाई के लिए 20 दिसंबर को अगली तारीख तय की है। बता दें कि ये याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है।

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता के दावे को लेकर बनी सुर्खियां

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने Khawaja Moinuddin Chishti Dargah में महादेव मंदिर होने का दावा करने से जुड़ी याचिका दाखिल करते हुए अहम रेखा खींच दी है। याचिका में रिटायर्ड जज हरविलास शारदा की किताब ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ का हवाला देते हुए गर्भगृह और परिसर में जैन मंदिर होने का दावा किया गया है। इसके अलावा दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा होने का दावा भी किया गया है। अजमेर सिविल कोर्ट (Ajmer Civil Court) द्वारा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से जुड़े याचिका को सुनने योग्य मानने के बाद सुर्खियों का बाजार गर्म हो गया है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगामी 20 दिसंबर को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट का रुख क्या होता है।

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