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Rajasthan Politics: राजस्थान में सोशल इंजीनियरिंग की राह पर बीजेपी, जानें क्या है पूरा मामला?

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Rajasthan Politics: राजस्थान प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बदलने के बड़े फैसले के बाद अब सभी की नजरें पार्टी के चुनाव संचालन समिति के नए प्रभारी की कमान पर लग गई है। इसके संयोजक और सहसंयोजक कौन होगें? चुनावी साल में राजस्थान की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में अदंरूनी रणनीतिक हलचल मची हुई। तैयारियों के बीच संगठनात्मक बदलाव करने के लिए मजबूर लगातार चुनावी नफा-नुकसान का गुणा भाग लगा रही हैं। इसी प्रकार राज्य बीजेपी के प्रभारी और संगठन महामंत्री के बदलाव पर भी चर्चाओं की सुगबुगाहट शुरू हो गई हैं।

जानें क्या है पूरा मामला

बता दें राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2023 में 7 महीने से भी कम समय रह गया है। किसी भी पार्टी के लिए चुनाव संचालन समिति सबसे महत्वपूर्ण घटक होती है। जो चुनाव की तैयारियों से लेकर पार्टी की चुनावी रणनीतियों के जमीन पर लागू करने पर बराबर पैनी नजर रखती है। बीजेपी ने हाल ही में तैयारियों को धार देने के मद्देनजर सबसे पहले सीपी जोशी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अंतिम समय पर सबसे बड़ा कदम उठाया था। तो अब उसकी अगली कड़ी के रूप में राज्य की चुनाव संचालन समिति के संयोजक और सहसंयोजक के नाम तय होने हैं। सूत्रों की मानें तो अभी किसी का नाम तय नहीं है। जहां पिछली बार गजेंद्र सिंह शेखावत को संयोजक तो सतीश पूनिया सहसंयोजक बनाए गए थे। जबकि प्रकाश जावड़ेकर को भाजपा ने चुनाव प्रभारी बनाया था।

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सोशल इंजीनियरिंग की राह पर बीजेपी

ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति के सहारे ही अपनी चुनावी नैया पार लगाने की तरफ बढ़ रही है। वह किसी तीन जातियों के नेताओं को अहम पद देकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश कर रही है। उसने ब्राह्मण सीपी जोशी को अध्यक्ष पद दिया है तो क्षत्रिय राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष तथा जाट सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बना चुकी है। इन जातियों को साधने के बाद अब शायद बीजेपी संयोजक तथा सहसंयोजक के पदों पर किसी अन्य जाति के नेता को प्रतिनिधित्व देकर चुनावी सेना का गठन करना चाहती है।

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