Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस में मची अंदरूनी कलह ने पार्टी आलाकमान के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के जयपुर में 5 घंटे के अनशन ने केंद्रीय रणनीतिकारों को ऐसा फंसा दिया है कि पायलट के खिलाफ उसके तेवर नरम पड़ते दिखाई दे रहे हैं। जहां कमलनाथ के हस्तक्षेप से एक्शन लेने की शंकाएं ठंडे बस्ते में जाती दिखाई दे रही हैं। तो सीएम गहलोत गुटबाजी के खतरे से सहमे संगठन की नब्ज टटोलने जिलों के दौरों पर जा रहे हैं। जहां स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से वन टू वन संवाद कार्यक्रम करेंगे।
कमलनाथ हुए सक्रिय तो आलाकमान पड़ी नरम
बता दें पायलट के अनशन से आलाकमान को बुरी तरह फंसा दिया है कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। अनशन के बाद प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के तेवरों को देख ये लग रहा था कि इस बार कोई बड़ी कार्रवाई पायलट के खिलाफ दिल्ली हाईकमान करेगा। लेकिन एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के इस मुद्दे पर एंट्री करने से हाईकमान के तेवर नरम पड़ गए हैं। राहुल गांधी ने पायलट के प्रति वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते कहा पायलट पर किसी भी तरह की कार्रवाई न की जाए।
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पायलट बोले-अनशन पार्टी के खिलाफ नहीं
गुरुवार रात कमलनाथ के दिल्ली आवास पर हुई एक बैठक में सचिन पायलट ने साफ कर दिया कि अनशन न तो पार्टी के खिलाफ था औ न ही राज्य सरकार के। मुझे सिर्फ ये संदेश देना था कि कांग्रेस पार्टी ने 2018 का विधानसभा चुनाव राज्य की जनता से वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़कर जीता था। चार साल तक जब इस पर कोई जांच नहीं हुई तो इस बार किस तरह जनता के बीच जाकर सफाई कैसे देंगे। जबकि एक-डेढ़ साल से जांच के लिए पत्र लिख रहा हूं।
सीएम करेंगे संगठन से संवाद
अंदरुनी कलह और पायलट के अनशन के बीच सीएम गहलोत एक बार फिर संगठन की नब्ज टटोलने जिलों के दौरों पर निकल रहे हैं। उनके साथ प्रदेश प्रभारी रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी साथ रहेंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी के मुताबिक 17 अप्रैल 2023 से राज्य के जिलों के दौरों पर निकलेंगे। इसके साथ ही 19 अप्रैल को जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में एक वर्कशॉप की जाएगी। जिसमें पार्टी के ऐआईसीसी और पीसीसी डेलीगेट्स, प्रदेश पदाधिकारी,सांसद ,पूर्व सांसद और सांसद प्रत्याशी, पूर्व कमेटी अध्यक्ष, राज्य मंत्रिमंडल,विधायक,पूर्व विधायक और विधायक प्रत्याशी, जिला कमेटी अध्यक्ष,अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी, विभाग, प्रकोष्ठों के अध्यक्ष तथा मंडल अध्यक्ष शामिल होंगे। जिससे स्थानीय मुद्दों के बारे में रिपोर्ट ली जाएगी साथ ही चुनाव रणनीतियों के मुताबिक आवश्यक दिशा-निर्देश भी देगी।
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