Rajasthan Vidhansabha: डॉक्टरों के भारी विरोध के बीच राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा ने ,‘Right to Health’ ध्वनिमत से पास कर दिया है। विधानसभा में विपक्ष के हंगामे और शोर शराबे के बीच मंगलवार को स्वास्थ्य का अधिकार बिल पास हो गया। स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि डॉक्टर्स अपना धर्म भूल चुके हैं। हम राज्य स्तर पर एक प्राधिकरण बनाएंगे। जिसमें उपचार में लापरवाही से संबंधित मामलों की सुनवाई होगी। इसमें दोषी पाए गए डॉक्टर्स तथा अस्पतालों पर 10-25 हजार तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इलाज के लिए अब मना नहीं कर सकेंगे
‘Right to Health’ कानून बन जाने के बाद अब राजस्थान में डॉक्टर्स तथा हॉस्पिटल्स मरीजों के इलाज के लिए अब न नहीं कर पाएंगे। इस कानून के अंदर जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। ,‘Right to Health’ के अंतर्गत एक राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण लॉजिस्टिक शिकायत का गठन किया गया है। जिसके अंदर इस कानून के उल्लंघन से संबंधित सभी शिकायतों को सुना जाएगा। इसके साथ ही इस प्राधिकरण का फैसला अंतिम माना जाएगा। जिसके फैसले को किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इस कानून का पहली बार उल्लंघन करने पर 10 हजार का,और उसके बाद दोबारा करने पर 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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डॉक्टर्स अपना धर्म भूलेः स्वास्थ्य मंत्री
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मीणा ने कहा कि जनता ने हमें चुनकर भेजा है,तो हमें भी जनता का हित देखना होगा। भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके सामने भी इमरजेंसी आई थी। जब भाई लक्ष्मण को शक्ति लगी थी। तब शत्रु रावण के राजवैद्य को उठवाकर भाई का उपचार करवाया था। यह होता है-डॉक्टर का धर्म। हमारे यहां डॉक्टर्स अपने धर्म को भूल गए हैं और वो अब उसका पालन नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही बिल को वापस लेने पर अड़े हुए हैं।
इमरजेंसी में करना होगा फ्री इलाज
इस ,‘Right to Health’ बिल के बाद अब सरकारी और निजी कोई भी हॉस्पिटल इलाज के लिए मना नहीं कर पाएंगे। अब हर मरीज के इलाज की गारंटी मिलेगी। इमरजेंसी की स्थिति में निजी हॉस्पिटल को भी अब मुफ्त इलाज मरीज का करना होगा। निजी हॉस्पिटल्स के लिए इमरजेंसी में इलाज करने के लिए एक अलग से फंड बनेगा।
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