Asaram Bapu Case: जोधपुर में नाबालिग से रेप मामले में कथावाचक आसाराम बापू के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने एक पुलिस अधिकारी को गवाह के तौर पर हाईकोर्ट के समन के आदेश को रद्द कर दिया है। इस मामले में आईपीएस अधिकारी और राजस्थान सरकार को एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए मामले की तेजी से सुनवाई करने का आग्रह किया था।
जानें क्या है पूरा मामला
जोधपुर के अपने एक आश्रम में कथावाचक आसाराम बापू को नाबालिक से 2013 के रेप के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में आसाराम के वकीलों की ओर से सजा को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसमें दलील दी गई थी कि आसाराम के कथित अपराध स्थल ‘निजी कुटिया’ को लेकर पीड़िता ने जो जगह का वर्णन किया था, वह पुलिस अधिकारी के द्वारा प्रस्तुत की गई वीडियो रिकॉर्डिंग से कथित रूप से प्रभावित है। जबकि पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई हस्तलिखित शिकायत अथवा पुलिस द्वारा 20 अगस्त 2013 को रिकॉर्ड किए बयानों में कुटिया का कोई जिक्र नहीं है।जिसके बाद हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारी को गवाह के तौर पर पेश होने के लिए समन जारी किया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
इसके बाद आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की बेंच ने फैसला सुनाते हुए आदेश दिया कि राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा आईपीएस अधिकारी को बतौर गवाह समन दिए आदेश को रद्द किया जाता है। इस मामले की हाईकोर्ट को त्वरित सुनवाई को भी कहा है।
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