Russia-China Quantum Communication: रूस और चीन ने भविष्य की टेक्नोलॉजी क्वांटम कम्युनिकेशन का सफल परिक्षण किया है और अब इन दोनो देशों ने भारत को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होने का ऑफर दिया है माना जा रहा है रूस और चीन ने दक्षिण देशों को कवर करने की अधिक व्यापक भू-राजनीतिक खोज के लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार प्रणाली की स्थापना की है।
चीन और रूस ने रचा इतिहास
आपको बता दें कि इसे चीनी मोज़ी उपग्रह द्वारा सक्षम किया गया था। इस प्रयोग ने लगभग 4000 किमी दूर एक अन्य रूसी सुविधा से जुड़े चीन के ग्राउंड-रिसीविंग स्टेशन से एक संदेश सफलतापूर्वक प्रसारित किया। एलेक्सी फेडोरोव ने दिसंबर के मध्य में एक पेपर में पिछले साल किए गए सफल प्रयोग का खुलासा किया था। फेडोरोव रूस के राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रूसी क्वांटम सेंटर (आरक्यूसी) का एक हिस्सा है। क्वांटम कम्युनिकेशन की सबसे बड़ी खासियत ये है, कि दुनिया में अभी कोई भी ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं है, जो इस सिस्टम को हैक कर सकता है।
भारत को शामिल होने का ऑफर
माना जा रहा है कि भारत को प्रोजेक्ट में शामिल होने का ऑफर देने के पीछे रूस और चीन की ग्लोबल साउथ में अपने दायरे का विस्तार करने वाला जियो-पॉलिटिकल गेम है, जिसके तहत दोनों देशों ने सैटेलाइट आधारित क्वांटम कम्युनिकेशन सिस्टम की स्थापना की है।
क्या है क्वांटम कम्युनिकेशन
अगर इसे सरल भाषा में समझे तो इस टेक्नोलॉजी के तहत प्रकाश की किरणों के जरिए ध्वनि की तरंगों को भेजा जाता है और इसे किसी भी टेक्नोलॉजी से हैक नहीं किया जा सकता है। रूस और चीन के बीच क्वांटम कम्युनिकेश के प्रयोग का ये खुलासा, दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष कार्यक्रम में हालिया हुए सहयोग के हिस्से के रूप में हुआ है।
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