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Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- पर्सनल लॉ में दखल दिए बिना बदलाव कैसे करें?

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Same Sex Marriage Case: सुप्रीम कोर्ट में आज भी समलैंगिक संबंधों पर सुनवाई का सिलसिला जारी रहा। सुनवाई के आज चौथे दिन याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील लूथरा गुप्ता ने सुनवाई में भाग लिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने आज इस बेहद संवेदनशील मामले में कई टिप्पणियां की है।

आज की कार्रवाई

आज सुबह शुरू हुई सुनवाई के बाद सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने आज याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलीलों की शुरूआत करते हुए..

मेनका– रिटेन सबमिशंस में केशवानंद भारती केस ही अपलोड किया गया है

सीजेआई चंद्रचूड़– उन्हें छोटा किया जा सकता है।

गीता लूथरा (याचिकाकर्ता वकील)– किसी समलैंगिक कपल की शादी इस वजह से अमान्य नहीं करार दी जा सकती, क्योंकि जिस देश से वो आए हैं वहां मान्य नहीं है। यह लैंगिग भेदभाव है।

गीता लूथरा ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा कि शादी एक जादुई शब्द है और इस जादू का असर पूरी दुनिया में है। इसका हमारे जीवन और सम्मान से सीधा संबंध है। उन्होंने कहा समलैंगिकों के शादी करने के अधिकार छीनना ठीक उसी तरह है जैसे महिलाओं से उनका मतदान का अधिकार छीन लेना।

सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर– केंद्र सरकार की तरफ से दावा है कि ब्रिटिश शासन से पहले भारत में समलैंगिक संबंध नहीं थे। जब कि ऐसा होता था और प्राचीन ग्रंथों में भी लिखा है।

मेनका गोस्वामी– कोर्ट यह नहीं कह सकती कि यहा संसद का मामला है। संसद संविधान से है। आर्टिकल 32 के तहत समलैंगिकों को अदालत आने का अधिकार है।

सीजेआई चंद्रचूड़-यदि हम स्पेशल मैरिज एक्ट में मैन और वुमैन की जगह पर्सन कर दें और पति-पत्नी की जगह स्पाउज कर दें तो क्या हम यहीं पर रुक जाएंगे ?

जस्टिस भट– हम पर्सनल लॉ में नहीं जाते क्यों कि यह बहुत कंटीला है, लेकिन हम इसके बाद कितने फॉलो-अप करेंगे….फिर अन्य कानूनों को भी नए सिरे से पारित करना पड़ेगा। कौन करेगा ? ये हमारा काम है।

सीजेआई– स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ के लिंक को खारिज नहीं किया जा सकता।

जस्टिस भट– हमें नहीं लगता कि संसद कोई कानून बनाएगा।

सीनियर एडवोकेट मेनका गोस्वामी– मुझे भी नहीं लगता ।

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