Samraat and Vardaan Scale Mount Everest: माउंट एवरेस्ट शब्द का जिक्र होते ही जुबां पर पर्वतारोही शब्द आ जाता है। बता दें कि पर्वतारोही उन्हें कहते हैं जो मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में ऊंचे बिंदुओं पर चढ़ाई करते हैं। देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई सारे पर्वतारोही हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को फतह कर चढ़ाई पूरी की है। हालाकि अब इस क्षेत्र में हौंसलों के बल पर दो जुड़वा बच्चों के नाम भी शामिल हो गए हैं।
ताजा जानकारी के अनुसार 7 वर्षीय सम्राट और वरदान सिंह ने सबसे कम उम्र में एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंच कर नया रिकॉर्ड दर्ज किया है जो कि उनके दृढ़ता और संकल्प को दर्शाता है। सम्राट और वरदान सिंह ने 25 मई, 2024 को अपने माता-पिता, मनमीत कौर व आनंद कुमार के साथ अपने यात्रा की शुरुआत की और इतनी कम उम्र में इस मील के पत्थर को हासिल कर दिया। इस उपलब्धि से सम्राट और वरदान का परिवार बेहद खुश है और इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दिलाने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया है।
हौसलों ने रिकॉर्ड में दर्ज कराया जुड़वा बच्चों का नाम
हिन्दी साहित्य में एक पंक्ति है, “मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” सम्राट और वरदान की उपलब्धि इस पंक्ति को चरितार्थ करती नजर आ रही है। दरअसल 7 वर्ष की उम्र में इन दोनों जुड़वा बच्चों ने अपने माता-पिता के साथ एवरेस्ट बेस कैंप तक चढ़ाई कर हौंसलों के सहारा अपने नाम एक अद्भुत रिकॉर्ड दर्ज किया है।
सम्राट और वरदान की माता, मनमीत कौर का दावा है कि इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करना चाहिए क्योंकि इतने कम उम्र में अब तक कोई माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक नहीं पहुंचा है। बता दें कि एवरेस्ट बेस कैंप की ऊंचाई 5364 मीटर (17598 फीट) है, वहीं इसकी टॉप चोटी, समुद्र तल से 8848 मीटर (29029 फीट) ऊपर स्थित है।
पर्वत चढ़ाई के दौरान आने वाली कठिनाइयां
माउंट एवरेस्ट या किसी भी पहाड़ की चोटी पर चढ़ाई करना आसान नहीं होता। दरअसल ये कृत्य आपके मानसिक और शारीरिक दृढ़ता दोनों का प्रमाण होता है। ऐसे में अगर 7 वर्षीय जुड़वा बच्चे एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा को पूरा कर लें तो ये निश्चित तौर पर बड़ी उपलब्धि है।
पर्वतारोहियों के हवाले से दी गई जानकारी के अनुसार पहाड़ों पर चढ़ना आसान नहीं होता। इस दौरान जोखिम भरे रास्तों और अनियमित मौसम आपके यात्रा के बीच रोड़ा भी बन सकते हैं। वहीं बढ़ती ऊंचाई के साथ ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाता है जिससे सांस संबंधी दिक्ततें भी हो सकती हैं। हालाकि सम्राट व वरदान ने अपने माता-पिता के साथ सभी चुनौतियों को पार करते हुए इस उपलब्धि को हासिल किया और एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंच गए। सम्राट व वरदान की मां के मुताबिक उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य की सावधानीपूर्वक निगरानी की जिससे माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक यात्रा पूरी हो सकी।
भारत में पर्वतारोहण का इतिहास
भारत में पर्वतारोहण का लंबा इतिहास रहा है। माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने की बात करें तो 23 साल की उम्र में ताशी और नुंग्शी मलिक नामक जुड़वा बहनों ने अपने हौंसलों से इस कीर्तिमान को रचा है। वहीं 16 वर्ष की काम्या कार्तिकेयन ने भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही बनकर इतिहास रच दिया।