Samudrayaan Mission: विज्ञान के बढ़ते दौर व तकनीक के सहारे भारत के साथ देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों से वैज्ञानिक अंतरिक्ष पर पहुंचते पाए जाते हैं। वहीं जल संबंधी मिशन को लेकर दावा किया जाता है कि ये भी अंतरिक्ष मिशन से तनिक भी आसान नहीं है। खबर है कि भारत सरकार के ‘समुद्रयान मिशन’ के जरिए अब वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराइयों में भेजा जाएगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि ये गहराई पृथ्वी सतह से लगभग 6000 मीटर नीचे तक हो सकती है। इस डीप ओशन मिशन को वर्ष 2021 में भारत सरकार द्वारा मंजूरी प्रदान की गई थी। इस मिशन को भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की देख-रेख में गति दी जा रही है।
डीप ओशन मिशन से जुड़ी अहम बातें
डीप ओशन मिशन, भारत सरकार के महत्वपूर्ण मिशन में से एक है। इसके तहत समुद्र में पाए जाने वाले प्रमुख संसाधनों का पता लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही इस बात ध्यान रखा जाएगा कि गहरे समुद्र के अंदर किसी तरह की तकनीक विकसित करने की संभावना है या नहीं। बता दें कि भारत सरकार समुद्रयान (Matsya6000- पनडुब्बी) के जरिए तीन सदस्यों के दल को समुद्र की गहराइयों में भेजेगी। खबर है कि सरकार इस मिशन पर लगभग 4077 करोड़ रुपये खर्च करेगी। दावा किया जा रहा है कि भारत के इस समुद्र मिशन से आने वाले समय में ब्लू (जल संबंधी) इकोनॉमी को रफ्तार मिल सकेगा।
डीप ओशन मिशन के प्रमुख उद्देश्य
भारत सरकार के डीप ओशन मिशन से ब्लू इकोनॉमी को रफ्तार मिलने का दावा किया जा रहा है। इसके साथ ही इस मिशन के जरिए समुद्रीय संसाधनों के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा। दावा किया जा रहा है कि इस मिशन के साथ ही आने वाले समय में गहरे समुद्र में खनन और क्रूड सबमर्सिबल के लिये तकनीकी का विकास संभव है। इसके साथ ही समुद्र तल की गहराइ में पाए जाने वाले खनिजों का सर्वेक्षण और अन्वेषण भी किया जा सकेगा। वहीं इस मिशन से समुद्री जैवविविधता को समझने में भी मदद मिल सकेगी।
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