Sunday, December 22, 2024
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खून की उल्टी करते रहे Sardar Vallabhbhai Patel, फिर भी तिरंगें को झुकने नहीं दिया; ऐसे कराया हैदाराबाद रियासत का भारत में विलय

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Sardar Vallabhbhai Patel: देश के पहले उप प्रधानमंत्री Sardar Vallabhbhai Patel जिन्हें लौह पुरूष के नाम से भी जाना जाता है। मालूम हो कि सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हैदाराबद, कश्मीर को भारत में विलय कराने में एक अहम भूमिका निभाई थी। बता दें कि लौह पुरूष को पेट का कैंसर था। कई बार तो वह खून की उल्टी भी करते है। गंभीर बिमारियों से जूझने के बावजूद Sardar Vallabhbhai Patel ने अपने अतिंम दिनों को भी देश को समर्पित कर दिया था। बता दें कि 31 अक्टूबर 2024 को लौहपुरूष की 150वीं जयंती है। जिसे देखेते हुए अमित शाह ने बड़ा ऐलान किया है। वहीं इस लेख में हम आपको बताएंगे की कैसे लौह पुरूष ने कश्मीर और हैदराबाद का विलय भारत में कराया था।

अपने अंतिम दिनों को भी देश को किया था समर्पित

बता दें कि भारत के पहले उप प्रधानमंत्री Sardar Vallabhbhai Patel का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। मालूम हो कि वह भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस के प्रमुख नेता थे और भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। अपने आखिरी दिनों में भी लौह पुरूष ने अपना पूरा समय देश को समर्पित कर दिया था। कहा जाता है कि साल 1948 के बाद सरदार पटेल का स्वास्थ्य धीरे- धीरे खराब होने लगा था। अत्याधिक थकावट और शरीर में कमजोरी होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी।

हालांकि इसके बावजूद वह देश की सेवा में जुटे रहे है। जिसके कारण उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ने लगा। बता दें कि लौह पुरूष को पेट का कैंसर था और वह अपने आखिरी समय में खून की खांसी भी करते थे। रदार पटेल का अंतिम समय मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) के बिरला हाउस में बीता। 15 दिसंबर 1950 में उन्हें हार्ट अटैक आया, जिसके कारण उनका निधन हो गया।

हैदराबाद रियासत का भारत में विलय

15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिल गई थी। हालांकि 500 से अधिक देशी रियासतों को बीच मझदार में छोड़ दिया गया था। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राजनीति कूटनीति का इस्तेमाल करके लगभग सभी रियासतों का भारत में विलय करा दिया था। उसके बाद भी तिन रियासतें अपनी जिद पर थी की, वह आजाद और स्वतंत्र देश बनाना चाहते थे जिसमे जम्मू कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ शामिल था।

रजाकारों के जरिए सीमाओं पर गड़बड़ी की जा रही थी और रेलगाड़ियों को लूटा जा रहा था। इस दौरान अब हैदराबाद, भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा बनते जा रहा था। इसी बीच लौह पुरूष ने ऐलान किया कि हैदराबाद पर हमला करना जरूरी है। हैदराबाद को भारत में विलय करने के लिए 13 सितंबर 1948 को ऑपरेशन पोलो की शुरूआत की गई। यह भारतीय सेना द्वारा शुरू की गई एक सैन्य कार्रवाई का कोड नेम था। हालांकि इसे पुलिस कार्रवाई कहा गया। वहीं महज 5 दिनों के अंदर निजाम की सेना में भारतीय सेना का सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। वहीं 26 जनवरी 1950 को हैदाराबाद नियमित तौर पर भारत का हिस्सा बन गया।

लौह पुरूष के सम्मान में पूरे दो साल तक होगा आयोजन

मालूम हो कि 31 अक्टूबर 2024 की Sardar Vallabhbhai Patel की 150वीं जयंती है। जिसे लेकर अमित शाह ने बीते दिन यानि 23 अक्टूबर को इसे लेकर जानकारी दी थी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्रों में से एक की स्थापना के पीछे दूरदर्शी के रूप में सरदार पटेल जी की स्थायी विरासत और कश्मीर से लक्षद्वीप तक भारत को एकजुट करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका अमिट है।

उनके स्मारकीय योगदान का सम्मान करने के लिए, पीएम श्री के नेतृत्व में भारत सरकार नरेंद्र मोदी जी, उनकी 150वीं जयंती 2024 से 2026 तक दो साल के राष्ट्रव्यापी उत्सव के साथ मनाएंगे। यह उत्सव उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों और एकता की भावना के प्रमाण के रूप में काम करेगा जिसे उन्होंने प्रतीक बनाया”।

भारत को एकजुट करने में Sardar Vallabhbhai Patel का अहम योगदान

मालूम हो कि देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री Sardar Vallabhbhai Patel ने पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। अग्रेजों से आजादी के बाद कई बार ऐसा समय आया जब लौह पुरूष ने अपनी चतुराई से देश को कई हिस्सों को टूटने से बचा लिया था। वहीं उन्होंने जम्मू कश्मीर, हैदाराबाद को भारत में शामिल कराने में अहम भूमिका निभाई थी।

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