Monday, November 18, 2024
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‘कम से कम भगवान को राजनीति..,’ Tirupati Laddu Case में SC का सख्त रूख, आंध्र प्रदेश सरकार को जमकर लगी फटकार; पढ़ें रिपोर्ट

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SC on Bulldozer Action: देश के अलग-अलग राज्यों में बुलडोजर एक्शन के तहत न्याय की नई परिभाषा गढ़ने वाले सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज बुलडोर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि सत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं होगा।

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Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है। कोर्ट की ओर से चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया है कि Aligarh Muslim University का अल्पसंख्यक दर्जा अभी बरकरार रहेगा।

Supreme Court का बड़ा फैसला! Aligarh Muslim University का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकरार; जानें दर्जे को लेकर क्यों मचा था घमासान?

Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट (Supreme Court) में सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से स्पष्ट किया है कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा।

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Supreme Court on Freebies: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यही वजह है कि हमारे देश में मतदाता अपनी मनमर्जी और अपनी पसंद से सरकारों को चुनते हैं। यदि सरकारें उनके (जनता) मंशा के अनुरूप काम न करें तो चुनाव के माध्यम से उन्हें बदल भी दिया जाता है।

SC on Tirupati Laddu Case: देश की राजधानी दिल्ली में स्थित उच्चतम न्यायालय (SC) में आज तिरुपति देवस्थानम मंदिर के लड्डूओं में कथित रूप से मिलावट से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही है। इस प्रकरण को लेकर जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने आंध्र प्रदेश की वर्तमान सरकार को फटकार लगाया है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार से सवाल किया है कि अगर पहले ही जांच के आदेश दे दिए थे, तो प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद (SC on Tirupati Laddu Case) को लेकर सख्त रूख अपनाते हुए अहम टिप्पणी कर दी है। SC की ओर से कहा गया है कि “कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।”

SC on Tirupati Laddu Case

सुप्रीम कोर्ट में आज तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) (SC on Tirupati Laddu Case) में कथित रूप से मिलावट से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही है। इस दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने आंध्र प्रदेश सरकार से कई सवाल पूछे हैं। SC ने आंध्र प्रदेश सरकार के वकील से कहा कि लैब रिपोर्ट से पता चलता है कि जिस घी का परीक्षण किया गया था, वह रिजेक्टेड घी था। SC ने राज्य से पूछा कि SIT जांच का आदेश देने के बाद प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।”

Supreme Court ने ये भी पूछा कि “जो घी मानक के अनुरूप नहीं पाया गया, क्या उसका इस्तेमाल प्रसाद के लिए किया गया था? सरकार की ओर से पेश किए गए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार को फटकार लगाया और पूछा कि फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? सुप्रीम कोर्ट का कहना है, आपको (सरकार) लोगों के धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की जरूरत है।

SC ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछे अहम सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसाद (SC on Tirupati Laddu Case) को लेकर मचे विवाद के बीच आंध्र प्रदेश सरकार से कई अहम सवाल पूछे हैं। SC ने आंध्र प्रदेश सरकार से इस बात का सबूत मांगा कि प्रसादम (लड्डू) बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। राज्य सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद ठीक नहीं है। इस पर SC ने कहा कि “जनता को इसकी जानकारी नहीं थी, आपने सिर्फ बयान दिया है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्रसाद के लिए दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में कहा कि ये आस्था का विषय है। यदि इस घी का प्रयोग किया गया तो यह अस्वीकार्य है। यह देखना होगा कि जिम्मेदार कौन था और इसकी जांच की जानी चाहिए। SC की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह चाहेगी कि वह इस बात की जांच करें कि क्या राज्य द्वारा गठित SIT द्वारा जांच की जानी चाहिए? क्या ऐसा बयान (राज्य द्वारा) दिया जाना चाहिए था जो भक्तों की भावनाओं को प्रभावित करता हो? जब एसआईटी का आदेश दिया गया तो प्रेस में जाने और सार्वजनिक बयान देने की क्या जरूरत थी?

SC ने की अहम टिप्पणी

SC ने तिरुपति प्रसाद (SC on Tirupati Laddu Case) में कथिर रूप से मिलावट को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की है। SC का कहना है कि “प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि नमूने में इस्तेमाल किया गया घी लड्डुओं के लिए इस्तेमाल किया गया था। जब जिम्मेदार सार्वजनिक पदाधिकारियों द्वारा ऐसे बयान दिए जाएंगे तो एसआईटी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?”

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि “नमूने में सोयाबीन का तेल हो सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रसाद बनावट के लिए मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया है। यह दिखाने के लिए क्या है कि जब आप गए और बयान दिया तो इसका उपयोग किया गया था?” सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “प्रथम दृष्टया जांच प्रक्रियाधीन है और उच्च संवैधानिक पदाधिकारी की ओर से ऐसा बयान देना उचित नहीं है जो जनता की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है।”

Gaurav Dixit
Gaurav Dixithttp://www.dnpindiahindi.in
गौरव दीक्षित पत्रकारिता जगत के उभरते हुए चेहरा हैं। उन्होनें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से अपनी पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है। गौरव राजनीति, ऑटो और टेक संबंघी विषयों पर लिखने में रुची रखते हैं। गौरव पिछले दो वर्षों के दौरान कई प्रतिष्ठीत संस्थानों में कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में DNP के साथ कार्यरत हैं।

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