SC on Tirupati Laddu Case: देश की राजधानी दिल्ली में स्थित उच्चतम न्यायालय (SC) में आज तिरुपति देवस्थानम मंदिर के लड्डूओं में कथित रूप से मिलावट से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही है। इस प्रकरण को लेकर जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने आंध्र प्रदेश की वर्तमान सरकार को फटकार लगाया है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार से सवाल किया है कि अगर पहले ही जांच के आदेश दे दिए थे, तो प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद (SC on Tirupati Laddu Case) को लेकर सख्त रूख अपनाते हुए अहम टिप्पणी कर दी है। SC की ओर से कहा गया है कि “कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।”
SC on Tirupati Laddu Case
सुप्रीम कोर्ट में आज तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) (SC on Tirupati Laddu Case) में कथित रूप से मिलावट से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही है। इस दौरान जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने आंध्र प्रदेश सरकार से कई सवाल पूछे हैं। SC ने आंध्र प्रदेश सरकार के वकील से कहा कि लैब रिपोर्ट से पता चलता है कि जिस घी का परीक्षण किया गया था, वह रिजेक्टेड घी था। SC ने राज्य से पूछा कि SIT जांच का आदेश देने के बाद प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि “कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।”
Supreme Court ने ये भी पूछा कि “जो घी मानक के अनुरूप नहीं पाया गया, क्या उसका इस्तेमाल प्रसाद के लिए किया गया था? सरकार की ओर से पेश किए गए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार को फटकार लगाया और पूछा कि फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? सुप्रीम कोर्ट का कहना है, आपको (सरकार) लोगों के धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की जरूरत है।
SC ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछे अहम सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसाद (SC on Tirupati Laddu Case) को लेकर मचे विवाद के बीच आंध्र प्रदेश सरकार से कई अहम सवाल पूछे हैं। SC ने आंध्र प्रदेश सरकार से इस बात का सबूत मांगा कि प्रसादम (लड्डू) बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। राज्य सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद ठीक नहीं है। इस पर SC ने कहा कि “जनता को इसकी जानकारी नहीं थी, आपने सिर्फ बयान दिया है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्रसाद के लिए दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में कहा कि ये आस्था का विषय है। यदि इस घी का प्रयोग किया गया तो यह अस्वीकार्य है। यह देखना होगा कि जिम्मेदार कौन था और इसकी जांच की जानी चाहिए। SC की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह चाहेगी कि वह इस बात की जांच करें कि क्या राज्य द्वारा गठित SIT द्वारा जांच की जानी चाहिए? क्या ऐसा बयान (राज्य द्वारा) दिया जाना चाहिए था जो भक्तों की भावनाओं को प्रभावित करता हो? जब एसआईटी का आदेश दिया गया तो प्रेस में जाने और सार्वजनिक बयान देने की क्या जरूरत थी?
SC ने की अहम टिप्पणी
SC ने तिरुपति प्रसाद (SC on Tirupati Laddu Case) में कथिर रूप से मिलावट को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की है। SC का कहना है कि “प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि नमूने में इस्तेमाल किया गया घी लड्डुओं के लिए इस्तेमाल किया गया था। जब जिम्मेदार सार्वजनिक पदाधिकारियों द्वारा ऐसे बयान दिए जाएंगे तो एसआईटी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?”
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि “नमूने में सोयाबीन का तेल हो सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रसाद बनावट के लिए मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया है। यह दिखाने के लिए क्या है कि जब आप गए और बयान दिया तो इसका उपयोग किया गया था?” सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “प्रथम दृष्टया जांच प्रक्रियाधीन है और उच्च संवैधानिक पदाधिकारी की ओर से ऐसा बयान देना उचित नहीं है जो जनता की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है।”