Supreme Court: उच्चतम न्यायालय (SC) ने आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई व गिरफ्तारी करने की कानूनी प्रक्रिया को लेकर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने आज एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि पीएमएलए कानून (Prevention of Money Laundering Act) के प्रावधानों के तहत अगर किसी विशेष अदालत ने आरोपी पर दर्ज हुए शिकायत पर स्वतः संज्ञान ले लिया है तो फिर ईडी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये भी स्पष्ट किया गया कि अगर ईडी आरोपी को हिरासत में लेना चाहती है तो उसे कार्रवाई करने से पहले विशेष कोर्ट में आवेदन देकर स्पष्ट करना होगा। अगर संबंधित विशेष कोर्ट ईडी के आवेदन से संतुष्ट हो जाता है तो अदालत स्वयं ईडी को आरोपी की हिरासत दे सकती है।
SC की अहम टिप्पणी
उच्चतम न्यायालय (SC) ने आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही गिरफ्तारियों को लेकर अहम टिप्पणी की है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने इस मामले में स्पष्ट किया है कि अगर आरोपी से जुड़ा मामला विशेष अदालत की संज्ञान में है और अदालत उस पर सुनवाई कर रहा है तो ईडी उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने ये भी स्पष्ट किया कि जब भी कोई आरोपी किसी समन के आधार पर अदालत के समक्ष पेश होता है, तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा।
SC का क्लियर स्टैंड
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आज ईडी की गिरफ्तारी प्रक्रिया को लेकर यह टिप्पणी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की गई सुनवाई के आधार पर की है। कोर्ट के समक्ष यह प्रश्न आया था कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए कड़े दोहरे टेस्ट से गुजरना पड़ता है, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां स्पेशल कोर्ट अपराध का संज्ञान लेती है।