Wednesday, October 23, 2024
Homeख़ास खबरेंSame Sex Marriage: समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला - सरकार...

Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला – सरकार को दिए ये निर्देश, जानें CJI ने क्या कुछ कहा?

Date:

Related stories

Same Sex Marriage को लेकर आई ये बड़ी अपडेट, जानें समीक्षा याचिका को लेकर क्या है SC का रुख

Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह के फैसले पर दाखिल हुए समीक्षा याचिका पर पुनर्विचार करने के लिए सहमत हो गया है। दरअसल कोर्ट ने 17 अक्टूबर को इस मामले में फैसला सुनाते हुए समलैंगिक जोड़ों को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था।

Same Sex Marriage को लेकर इन देशों का कानून बेहद सख्त, कई जगहों पर मौत की सजा; जानें किन-किन कंट्री में है बैन

Same Sex Marriage: भारत में सेम सेक्स मैरिज को लेकर खूब सुर्खियां बन रही हैं। इस संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में इसको लेकर चर्चा आज बढ़ गई हैं।

Same-Sex Marriage: Supreme Court में सेम सेक्स मैरिज पर हो रही सुनवाई, CJI बोले- ‘आने वाली पीढ़ियों के लिए सुनवाई की कवायद’

भारत में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज से सुनवाई शुरू होगी।

Same-Sex Marriage: केंद्र सरकार ने समलैंगिक शादियों की मान्यता देने को लेकर कही ये बात, सुप्रीम कोर्ट में जताया विरोध

केंद्र सरकार के द्वारा समलैंगिक विवाह को लेकर आपत्ति जताई गई है। सरकार ने कहा है कि ऐसी शादियों को मान्यता देना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है।

Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मंगलवार (17 अक्टूबर) को समलैंगिक विवाह की वैधता को लेकर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि अपना साथी चुनने का अधिकार सभी को है और सरकार कानूनी दर्जा दे।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ते हुए कहा, “कुल 4 फैसले हैं जिस पर कुछ बातों पर हम सहमत हैं, कुछ पर नहीं। मैं अपने फैसले के अंश पढ़ रहा हूं।” उन्होंने आगे कहा कि शक्तियों का बंटवारा संविधान में दिया गया है। कोई भी अंग दूसरे के अधिकार क्षेत्र का काम नहीं करता। केंद्र ने आगाह किया कि सुप्रीम कोर्ट ऐसी शादी को मान्यता देकर संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल देगा।

SC ने सरकार को दिए ये निर्देश

CJI ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक लोगों के साथ उनके यौन रुझान के आधार पर भेदभाव न किया जाए। चीफ जस्टिस ने कहा, “सरकार को खुद नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। विवाह को कानूनी दर्जा जरूर है, लेकिन यह कोई मौलिक अधिकार नहीं है। लेकिन हमारे सामने मौलिक अधिकार का मसला उठाया गया है। इसलिए हमारा फैसला किसी के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं माना जाएगा।”

‘कोर्ट कानून नहीं बनता, लेकिन …’

उन्होंने कहा, “कोर्ट कानून नहीं बनाता, लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है। यह एक ऐसा विषय है, जिसे सिर्फ शहरी उच्च तबके तक सीमित नहीं कहा जा सकता। हर वर्ग में ऐसे लोग हैं। हर संस्था में समय के साथ बदलाव आता है। विवाह भी ऐसी संस्था है। पिछले 200 सालों में सती प्रथा खत्म होने, विधवा विवाह से लेकर अंतर्धार्मिक, अंतरजातीय विवाह तक यह बदलाव हुए हैं।”

मामले में SC को प्राप्त हुए थे 20 आवेदन

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 18 अप्रैल को मामले की सुनवाई शुरू की थी। इसके बाद 11 मई को मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में लगभग 20 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें समलैंगिक जोड़ों, ट्रांसजेंडर लोगों, LGBTQIA+ व्यक्तियों और अन्य लोगों के आवेदन शामिल थे।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Latest stories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here