Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस मामले को सात जजों की बड़ी बेंच को सौंप दिया है। 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़ों की ओर की याचिकाएं दायर की गई थीं। इसी को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शिंदे गुट को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने से साफ इनकार कर दिया है।
बागी विधायकों पर स्पीकर करेंगे फैसला
कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं लेगा। इसके लिए स्पीकर को जल्द फैसला लेने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया, ऐसे में उनको बहाल नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि सदन के स्पीकर द्वारा शिंदे गुट की ओर से प्रस्तावित स्पीकर गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त करना अवैध फैसला था। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को सिर्फ राजनीतिक दल की ओर से नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए थी।
राज्यपाल पर कोर्ट ने क्या कहा ?
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को वो नहीं करना चाहिए जो ताकत संविधान ने उनको नहीं दी है। अगर सरकार और स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा टालने की कोशिश करें तो राज्यपाल फैसला ले सकते हैं। लेकिन इस मामले में विधायकों ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी, उसमें यह नहीं कहा कि वह MVA सरकार हटाना चाहते हैं। सिर्फ अपनी पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी में असंतोष फ्लोर टेस्ट का आधार नहीं होना चाहिए। राज्यपाल को जो भी प्रस्ताव मिले थे, वह स्पष्ट नहीं थे। यह पता नहीं था कि असंतुष्ट विधायक नई पार्टी बना रहे हैं या कहीं विलय कर रहे हैं।
क्या है मामला ?
दरअसल, बीते साल एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई थी। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए बुलाया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से 16 विधायकों की सदस्यता की वैधता को चुनौती दी गई थी, जिस पर आज फैसला आया है।
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