Supreme Court on Bulldozer Action: देश के विभिन्न हिस्सों में राज्य सरकारों द्वारा बुलडोजर एक्शन को प्राथमिकता देने से जुड़े मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस संबंध में दाखिल की गई याचिका को लेकर तल्ख टिप्पणी करते हुए अपना पक्ष रखा।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि “सरकारें सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को नहीं गिरा सकतीं। अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सकता है।” सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई इस तल्ख टिप्पणी को लेकर अब खूब सुर्खियां बन रही हैं। (Supreme Court on Bulldozer Action)
बुलडोजर एक्शन पर SC की तल्ख टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने आज विभिन्न सरकारों द्वारा बुलडोजर एक्शन को प्राथमिकता देने से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं। SC की ओर से जस्टिस पीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया है कि “अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को नहीं गिराया जा सकता है और सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना भी उचित नहीं है।”
जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने दाखिल की थी याचिका
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बीते कुछ महीनों में बुलडोजर कार्रवाई की खबरें सामने आई थीं। इस गंभीर प्रकरण को लेकर जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दाखिल कर ‘बुलडोजर जस्टिस’ की प्रवृत्ति पर रोक लगाने की मांग की है।
जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की ओर से दाखिल की गई याचिका में यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों का जिक्र करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकारें हाशिए पर मौजूद लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमन चक्र चलाकर उनके घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने को बढ़ावा दे रही हैं। इस कार्रवाई से लोगों को कानूनी उपाय करने का मौका नहीं मिलता और उनके वर्षों की मेहनत मिट्टी में मिल जाती है।