Thursday, December 19, 2024
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मंदिर, दरगाह, गुरूद्वारा के अवैध निर्माण को लेकर Supreme Court का बड़ा बयान, कहा ‘सड़क के बीच धार्मिक संरचना जनता के लिए..’, जानें डिटेल

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Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट (Supreme Court) में सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से स्पष्ट किया है कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा।

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Supreme Court on Bulldozer Action: धार्मिक स्थानों पर बुलडोजर के एक्शन को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि धार्मिक स्थान चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या फिर गुरूद्वारा हो, अगर वह पब्लिक प्लेस में बना हुआ है, जिसके कारण लोगों को परेशानी हो रही है तो उसे ध्वस्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बुलडोजर एक्शन पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

Supreme Court ने क्या कहा?

दरअसल कई राज्यों में बुलडोजर एक्शन (Supreme Court on Bulldozer Action) पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी, वहीं इस मामले को लेकर एक बार फिर सुनावई हुई। जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन इस केस की सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान दोनों जजों ने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी।

Supreme Court अवैध निर्माण पर सख्त?

सुनवाई के दौरान मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारा के अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं और हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों। बेशक, अतिक्रमण के लिए हमने कहा है। (Supreme Court on Bulldozer Action) यदि यह सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, जल निकाय या रेलवे लाइन क्षेत्र पर है, तो इसे जाना होगा, सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। यदि सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर, वह सार्वजनिक बाधा नहीं डाल सकती।

आरोपी होने पर व्यक्ति के घर की तोड़फोड़ गलत

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमे आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में अपराध के आरोपियों के संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। जिसके बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। (Supreme Court on Bulldozer Action) वहीं आज सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि “हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि सिर्फ इसलिए तोड़फोड़ नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है. साथ ही, इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि तोड़फोड़ के आदेश पारित होने से पहले भी एक सीमित समय होना चाहिए”।

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