2000 Rupee Note: बिना ID प्रूफ दिखाए 2000 रुपये का नोट बदलने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर अभी सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया है। अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं जिसे तुरंत सुनना जरूरी हो। ऐसे में याचिकाकर्ता गर्मी की छुट्टी के बाद चीफ जस्टिस से सुनवाई का अनुरोध करें।
हाई कोर्ट खारिज कर चुका है याचिका
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन SC ने इस मामले पर तत्तकाल सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नोट बदलने वाले की पहचान पुख्ता किए बिना उसे बदलने से भ्रष्ट और देश विरोधी तत्वों को फायदा हो रहा है।
याचिका पर SC ने क्या कहा ?
अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन बेंच ने कहा, अदालत छुट्टी के दौरान इस तरह के मामलों को नहीं ले रही हैं और आप हमेशा चीफ (भारत के मुख्य न्यायाधीश) के सामने इसका उल्लेख कर सकते हैं।
व्यक्तिगत रूप से पेश हुए उपाध्याय ने कहा, सभी किडनैपर, गैंगस्टर, ड्रग तस्कर अपने पैसे को बदल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक सप्ताह में 50,000 करोड़ रुपये के नोट बदले गए हैं। उन्होंने अदालत से इस मामले में तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया। इसके बाद पीठ ने दोहराया कि वह CJI के समक्ष मामले का उल्लेख कर सकते हैं।
क्या है मामला ?
गौरतलब है कि 19 मई को, RBI ने घोषणा की कि वह ‘मुद्रा प्रबंधन अभ्यास’ के रूप में 2,000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट को चलन से बाहर कर रहा है। RBI ने नागरिकों को इन नोटों को अन्य मूल्यवर्ग के नोटों से बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। इसके बाद 20 मई को SBI ने भी अपने लोकल प्रधान कार्यालयों को निर्देश दिया था कि 20 हजार तक 2,000 रुपये का नोट बदलवाने के लिए किसी ID प्रूफ की जरूरत नहीं होगी।
क्या कहते हैं अधिवक्ता ?
RBI और SBI की अधिसूचनाओं पर रोक लगाने की मांग करते हुए, अधिवक्ता ने कहा कि यह अवैध धन को वैध बनाने का अवसर देता है और इसलिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी लेनदेन अधिनियम, मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, सीवीसी अधिनियम, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम और काला धन अधिनियम के उद्देश्यों के खिलाफ है।
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