Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की तरफ से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, न्यायिक अधिकारियों के लिए बढ़े हुए वेतन को अमल में लाने के अपने पिछले आदेश को जारी रखा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अपना पिछला आदेश 27 जुलाई 2022 को दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने बकाया एरियर का भी भुगतान करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा अपना फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई 2022 को अपने फैसले में कहा था कि न्यायिक अधिकारी सरकार द्वारा किसी आयोग के तहत नही आते हैं, इसलिए इनके वेतन में वृद्दि होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ की तरफ से ये याचिका दायर की गई थी। अदालत के इस फैसले के बाद केंद्र और कुछ राज्य सरकारों की तरफ से इस फैसले पर एक बार फिर से पुर्नविचार याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।
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देश के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इस रिकॉर्ड में कोई भी गलती स्पष्ट नहीं है। ऐसे में आयोग की सिफारिशों के आधार पर न्यायिक अधिकारियों का वेतन बढ़ना चाहिए।
केंद्र और राज्य सरकारों को दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को न्यायिक अधिकारियों को 25 फीसदी पहली किस्त में, दूसरी किस्त में 25 फीसदी इसके बाद बाकी की राशि को 30 जून 2023 तक जारी करना होगा। यहां पर आपको बता दें कि साल 2017 में देश की न्यायापालिका से संबंध रखने वाले न्यायिक अधिकारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग का गठन किया था।