Supreme Court: देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) को सख्त लहजे में फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि आखिर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद के स्वास्थ्य विज्ञापनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। साथ ही कहा कि कंपनी आगे से भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं करेगी।
Supreme Court ने Patanjali Ayurved को लगाई फटकार
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी किया है। साथ ही कहा कि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए। अदालत ने उन विज्ञापनों पर रोक लगाई है, जो कि बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी घेरा
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे विज्ञापनों के लिए केंद्र सरकार को घेरा है। अदालत ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पूरे देश में ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को चलाया जा रहा है। केंद्र सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी हुई है। ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत ने केंद्र सरकार को तीन सप्ताह का वक्त दिया है कि सरकार ने क्या एक्शन लिया है।
कोई भी भ्रामक विज्ञापन नहीं देंगे-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों में रिलीफ शब्द अपने आप में ही भ्रामक है। ये कानून का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि आज से आप कोई भी भ्रामक विज्ञापन नहीं देंगे। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट में भी। वहीं, अदालत ने पूछा कि आपने एलौपैथी पर कैसे बयान दिया। अदालत ने कहा कि हमने जब मना किया था तो इस पर पतंजलि ने कहा कि हमने इसके लिए एक रिसर्च लैब बनाया है। इस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आप सिर्फ साधारण विज्ञापन ही दे सकते हैं।
जस्टिस ये देखकर भड़क उठें
मालूम हो कि पतंजलि के विज्ञापन कई प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाते हैं। इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए का मानना है कि गलत दावे के साथ विज्ञापन चलाए जाते हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह अपने साथ अखबार लेकर आए थे। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि आपने अदालत के मना करने के बाद भी अखबार में विज्ञापन लाने का काम किया। आप कोर्ट को उकसा रहे हैं।
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