Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में शिंदे-ठाकरे गुट के विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अपना फैसला सुनाएगी। पिछले साल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत करके भाजपा के सहयोग से सरकार बना ली थी। राज्यपाल ने उनकी सरकार को मान्यता देकर शपथ दिलाई थी। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो इसे संविधान पीठ में ट्रांसफर किया गया। जिसके बाद इस पर सुनवाई हुई और आज इस पर फैसला आना है।
राज्यपाल के आदेश को रद्द करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के आखिरी दिन यानी 16 मार्च को इस बात पर आश्चर्य जताया था कि कोर्ट उद्धव सरकार की बहाली कैसे कर सकता है क्योंकि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट के पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उद्धव ने अपनी याचिका में मांग की थी कि राज्यपाल का जून 2022 का आदेश रद्द किया जाए जिसमें उद्धव से सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया था। इस पर उद्धव गुट ने कहा कि यथा स्थिति (स्टेटस को) बहाल की जाए, यानी उद्धव सरकार बहाल की जाए जैसा कोर्ट ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार की बहाली के ऑर्डर में किया था।
क्या शिंदे बने रहेंगे CM या उद्धव बनाएंगे सरकार?
सुप्रीम कोर्ट के सामने जो मुद्दे हैं, उनमें एक सबसे अहम राज्यपाल कोश्यारी के उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए दिए गए आदेश की वैधता पर है. कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट का आदेश देने के अगले ही दिन उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी थी। इसी के साथ राज्यपाल द्वारा शिंदे को सरकार बनाने के लिए कोश्यारी के निमंत्रण की वैधता पर भी सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा।
इसमें यह देखा जाएगा कि क्या कोश्यारी के पास शिंदे को सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देने का अधिकार था, खासतौर पर जब शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता की कार्यवाही तत्कालीन डिप्टी स्पीकर के समक्ष लंबित थी। अगर पांच जजों की संविधान पीठ राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक घोषित करती है, तो उसे एकनाथ शिंदे की सरकार की वैधता पर भी अपना फैसला सुनाना होगा। इस फैसले के साथ उद्धव ठाकरे का राजनीतिक भाग्य जुड़ा हुआ है।
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