Friday, November 22, 2024
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Supreme Court  ने लिया बड़ा फैसला, कहा केस फाइलों में वादियों की जाति, धर्म पूछना करें बंद

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SC on Bulldozer Action: देश के अलग-अलग राज्यों में बुलडोजर एक्शन के तहत न्याय की नई परिभाषा गढ़ने वाले सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज बुलडोर एक्शन पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि सत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं होगा।

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Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी की है। कोर्ट की ओर से चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया है कि Aligarh Muslim University का अल्पसंख्यक दर्जा अभी बरकरार रहेगा।

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Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट (Supreme Court) में सात जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से स्पष्ट किया है कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा।

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Supreme Court on Freebies: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यही वजह है कि हमारे देश में मतदाता अपनी मनमर्जी और अपनी पसंद से सरकारों को चुनते हैं। यदि सरकारें उनके (जनता) मंशा के अनुरूप काम न करें तो चुनाव के माध्यम से उन्हें बदल भी दिया जाता है।

Supreme Court: दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्यों की प्रचलित उस प्रथा पर कड़ी आपत्ति जताई हैं। जहां वादकारियों को अदालती दस्तावेजों में अपनी जाति और धर्म का उल्लेख करना आवश्यक होता है।  हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (SC) की पीठ ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसमें अब भारत में कोई भी अदालत न्यायिक कार्यवाही में वादकारियों से उनकी जाति या धर्म बताने के लिए नहीं कहेगी, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस बात पर जोर देते हुए आदेश दिया है कि “ऐसी प्रथा को त्याग दिया जाना चाहिए और इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए”।

Supreme Court  की इस पीठ ने लिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कुछ राज्यों में प्रचलित उस प्रथा पर कड़ी आपत्ति जताई, जहां वादकारियों को अदालती दस्तावेजों में अपनी जाति और धर्म का उल्लेख करना आवश्यक होता है।

पीठ ने कहा “हमें इस न्यायालय या निचली अदालतों के समक्ष किसी भी वादी की जाति या धर्म का उल्लेख करने का कोई कारण नहीं दिखता है। इस तरह की प्रथा को त्याग दिया जाना चाहिए और इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए।

Supreme Court  के इस फैसले की ये रही वजह

राजस्थान में एक पारिवारिक अदालत के समक्ष लंबित वैवाहिक विवाद में स्थानांतरण याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत का इस विवादास्पद प्रथा की ओर ध्यान गया। पत्नी के कहने पर मामले को पंजाब की एक अदालत में स्थानांतरित करने की अनुमति देते समय, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) यह देखकर निराश हुई कि पक्षों के ज्ञापन में उनके अन्य विवरणों के अलावा, पति और पत्नी दोनों की जाति का भी उल्लेख किया गया था।

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DNP न्यूज़ डेस्क
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