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लद्दाख से शिमला पहुंची रैंचो के मुहिम की गूंज, जानिए कौन हैं सोनम वांगचुक और क्यों कर रहे आंदोलन?

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Sonam Wangchuk: बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘थ्री इडियट’ में आमिर खान ने जिस रैंचो दास का किरदार निभाया था और फिल्म के आखिरी सीन में वह लद्दाख की वादियों में जिस फुनसुक वांगड़ू के किरदार में दिखते हैं, वह शख्स हैं सोनम वांगचुक। सोनम ने हिमालय बचाओ अभियान के तहत 30 जनवरी को एक वीडियो जारी किया था, जिसमें लोगों से जुड़ने की अपील की थी। उनकी यह मुहिम शिमला में भी रंग दिखाने लगी है। इसको लेकर वांगचुक ने लद्दाख के लोगों से 26 जनवरी के दिन पांच दिवसीय भूख हड़ताल की घोषणा भी की थी। तो आइये जानते और समझते हैं कि क्या है पूरा मामला?

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सोनम वांगचुक को किया गया नजरबंद

इस मामले को लेकर वांगचुक ने दावा किया था कि उन्हें उनके संस्थान में नजरबंद कर दिया गया है, हालांकि इस पर पुलिस का कहना है कि “जब उन्होंने खारदुंग ला दर्रे की ओर बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने रोका और उनसे लौटने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने विरोध जताया, जिसके चलते कानूनी कार्रवाई के तहत उन्हें उनके संस्थान में वापस लाया गया।“

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लेह पी.डी. नित्या का इस मामले में कहना है, “उन्हें (वांगचुक) खारदुंग ला दर्रे पर पांच दिन की भूख हड़ताल करने की अनुमति प्रशासन की ओर से नहीं दी गई थी, क्योंकि वहां तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया है।”

सोनम वांगचुक की क्या है मांग?

लेह लद्दाख में पर्यावरण को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए सोनम वांगचुक ने एक मुहिम चलाई है। इसके लिए उन्होंने भूख हड़ताल की घोषणा भी की और यह दावा भी किया कि उन्हें प्रशासन ने उनके ही घर में नजरबंद कर दिया है। सोनम वांगचुक की मांग है कि लेह लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची को लागू किया जाए। साथ ही बेतरतीब औद्योगिक एवं व्यवसायिक गतिविधियों से यहां के पर्यावरण को भी संरक्षित किया जाए। सोनम वांगचुक ने लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर को घेरते हुए कहा कि एलजी ने इस दिशा में 3 साल से कोई कदम नहीं उठाया है।

शिमला तक पहुँची वांगचुक की मुहिम

सोनम वांगचुक द्वारा जारी किये गए वीडियो के बाद उनकी इस मुहिम को लेह और करगिल में लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दल, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक समूहों और छात्र संगठन ने जबरदस्त समर्थन दिया है, लेकिन भाजपा इस मुहिम से दूरियां बनाती दिक रही है। वांगचुक के समर्थन में लोगों ने एक दिन की भूख हड़ताल भी की। शिमला के रिज मैदान में गांधी प्रतिमा के सामने अनशन किया और “हिमालय बचाओ, अपना भविष्य सुरक्षित करो” नाम से मुहिम चलाई।

सामाजिक कार्यकर्ता टिकेंद्र पंवर का कहना है, “जिस तरह की लापरवाही लद्दाख में हो रही है, उसी तरह की लापरवाही हिमाचल में भी बरती जा रही है। हिमाचल में भी बढ़ते उद्योग और अंधाधुंध पेड़ और पहाड़ पर आक्रमण से ग्लेशियर तेजी से पिगल रहे हैं।“

कौन हैं सोनम वांगचुक

51 साल के सोनम वांगचुक ने लद्दाख की तरक्की के लिए कई आविष्कार और शिक्षा में सुधार को लेकर 1994 में ‘ऑपरेशन न्यू होप’ शुरू किया था। उन्होंने लद्दाख में सामुदायिक प्रगति के लिए स्टूडेंट्स एजुकेशन ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने लद्दाख और स्थानीय छात्रों में सिक्षा को लेकर जन जागरूक्ता अभियान चलाया। सोनम वांगचुक ने इंजीनियरिंग के क्षैत्र में अपनी पढ़ाई एनआईटी श्रीनगर से की है। वांगचुक को साल 2018 में रेमन मैग्सेसे अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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