Monday, November 18, 2024
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Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary पर पीएम मोदी, योगी आदित्यनाथ समेत इन नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, जानें डिटेल

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Narendra Modi: वैश्विक मंच पर भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी की साख एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही है। ये समूचे भारतवर्ष के लिए गर्व का विषय है। दरअसल, कैरेबियाई द्वीप देश डोमिनिका (ने भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के प्रति सम्मान भाव प्रकट करते हुए बड़ा ऐलान किया है।

Shyama Prasad Mukherjee Death Anniversary: जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की केंद्रीय मंत्री परिषद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी देश के पहले उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बनाए गए। हालांकि बाद में उन्होंने अपने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया और जनसंघ की संस्थापना की जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी। बीजेपी आज इसी दिन हर साल बलिदान दिवस के रूप में मनाती है।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “देश के महान सपूत, प्रख्यात विचारक और शिक्षाविद् डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर सादर नमन।

मां भारती की सेवा में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका ओजस्वी व्यक्तित्व देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा”।

कौन थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी

जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था। उनके पिता कलकत्ता हाईकोर्ट में जज थे। महज 33 साल की उम्र में ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के वी.सी बन गए थे। कश्मीर में आर्टिकल-370 का विरोध करते हुए 11 मई 1953 को श्यामा प्रसाद श्रीनगर में घुसे तो उस वक्त की शेख अब्दुल्ला की मौजूदा सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। एक महीने से ज्यादा जेल में रहने के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई। 23 जून को कश्मीर सरकार ने घोषणा की थी कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन हो गया।

योगी आदित्यानाथ ने दी श्रद्धांजलि

एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने कहा कि “आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘बलिदान दिवस’ है। हम सभी जानते हैं कि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ था, 1950 में संविधान लागू होने के बाद तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने प्रयास किया था संविधान में धारा 370 जोड़कर राष्ट्रीय अखंडता को गंभीर क्षति पहुंचाएं। तत्कालीन सरकार की इन्हीं मंशाओं को ध्यान में रखते हुए उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में देश की सेवा कर रहे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना पद छोड़ दिया।

और देश की प्रतिष्ठा के लिए, देश की अखंडता के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया। कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए भारतीय जनसंघ के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ शुरू किए गए कश्मीर सत्याग्रह अभियान के लिए उन्हें अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा”।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को उनके बलिदान दिवस पर नमन

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “देश की एकता, अखंडता और स्वाभिमान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को उनके बलिदान दिवस पर नमन।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने “एक निशान, एक विधान, एक प्रधान’ का नारा देकर जम्मू-कश्मीर को देश का अभिन्न अंग बनाने के संघर्ष में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने पश्चिम बंगाल को भारत का हिस्सा बनाए रखने की वैचारिक व व्यावहारिक लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान सभा के सदस्य के रूप में उन्होंने भाषा व संस्कृति संबंधी परिवर्तनकारी सुझाव दिए। उन्होंने जनसंघ की स्थापना से देश वासियों को वैकल्पिक विचार दिया। भारतीय संस्कृति का यह नक्षत्र हमेशा दैदीप्यमान रहकर भावी पीढ़ियों को राष्ट्रप्रथम के पथ पर दिशा दिखाता रहेगा”।

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