Bihar Caste Survey: बिहार में नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना के नतीजे सार्वजनिक कर दिए गए हैं। बिहार में किस जाति की आबादी सबसे ज्यादा है ये तो अब लोग जान ही चुके हैं। लेकिन, लोग यह जानने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं कि विभिन्न जातियां आर्थिक रूप से कैसा प्रदर्शन कर रही हैं। परिणामों की गणना करते समय संख्याओं के अलावा उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति की जानकारी को भी जुटाई गई थी, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
रिपोर्ट के हर पहलू पर होगी बैठक में चर्चा
जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर चर्चा और फीडबैक लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक में रिपोर्ट के हर पहलू और जुटाए गए डेटा पर गहन चर्चा होगी। बताया जा रहा है की ये बैठक दोपहर के समय होगी। हालांकि, बैठक के समय को लेकर अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
सोमवार को रिपोर्ट जारी करने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों को सारी जानकारी दी जाएगी और उनकी चर्चा के बाद आगे का काम किया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि इसमें वे पार्टियां शामिल होंगी जिनके साथ जाति जनगणना समझौते पर पहुंचने के लिए पहले बैठकें हुई थीं।
सर्वदलीय बैठक में इन दलों को न्योता
कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को अन्य दलों के साथ सर्वदलीय बैठक में आमंत्रित किया गया है। इनमें कांग्रेस पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के अलावा लालू यादव की राजद, नीतीश कुमार की जेडीयू, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवा मोर्चा और जीतन राम मांझी की पार्टी जेडीयू भी शामिल है।
क्या कहते हैं जातीय सर्वेक्षण के आंकड़े
बिहार कास्ट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की 13 करोड़ से अधिक की आबादी में ओबीसी 27.13 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत है। भूमिहार की आबादी 2.86 प्रतिशत, कुर्मी की आबादी 2.87 प्रतिशत, ब्राह्मणों की आबादी 3.66 प्रतिशत, राजपूतों की आबादी 3.45 प्रतिशत, मुसहर की आबादी 3 प्रतिशत और यादवों की आबादी 14 प्रतिशत है।
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