Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता विधेयक को कानून बनाने के लिए बुलाई गई विशेष विधानसभा के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया जाना है। यदि सदन द्वारा पारित किया जाता है, तो भाजपा शासित राज्य समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म, लिंग या यौन रुझान की परवाह किए बिना व्यक्तिगत कानूनों का एक सामान्य सेट स्थापित करने के उद्देश्य से यूसीसी विधेयक को मंजूरी दे दी।
क्या है Uniform Civil Code?
यूनिफॉर्म सिविल कोड(Uniform Civil Code) या समान नागरिक संहिता में देश के सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान कानून बनाने की वकालत की गई है। बता दें कि यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे। इस कानून के तहत विवाह, तलाक रखरखाव, विरासत, गोद लेने, उत्तराधिकारी जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
क्या है Uniform Civil Code के फायदे?
●यूनिफार्म सिविल कोड में लोगों को लैंगिग समानता का अधिकार दिया जाता है ताकि इसे बढ़ावा मिल सके।
●सभी नागरिकों को समान अधिकार देश के कानून के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे।
●समान नागरिक संहिता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में भी सुधार आएगा। क्योंकि कुछ धर्म के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित है।
●हर धर्म में शादी – तलाक के लिए एक ही कानून
●महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार, गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे तथा बेटी को भी संपत्ति का समान अधिकार दिया जाएगा।
●मुस्लिम समाज द्वारा लड़कियों की शादी छोटी आयु में कर दी जाती है। जब देश में UCC लागू किया जाएगा। तब से इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा ताकि बेटी की शादी कम उम्र में ना की जा सके।
●देश में जितने भी प्रकार के समुदाय है वहां की जनता को समान नागरिक संहिता के लागू होने से सामान अधिकार प्रदान किए जाएंगे।
●देश के मुस्लिम समुदाय में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है। इस लॉ के अंतर्गत शादीशुदा मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को अपनी मर्जी से सिर्फ तीन बार में तलाक कहकर तलाक दे सकता है।
●इसके अलावा मुस्लिम लॉ में तलाक के और भी कई तरीके दिए गए हैं। यह सब समस्या मुस्लिम महिलाओं को झेलनी पड़ती है। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत एक ही प्रकार के तलाक किए जाएंगे।
देश में Uniform Civil Code को लेकर क्या है चुनौतियां?
संविधान निर्माण के बाद से (Uniform Civil Code) को लागू करने की मांग उठती रही है। लेकिन जितनी बार मांग उठती है। उनती बार ही इसका विरोध भी हुआ है। हिंदू धर्म में विवाह को जहां एक संस्कार माना जाता है, वहीं इस्लाम धर्म में इसे एक कॉन्ट्रैक्ट माना जाता है। ईसाइयों और पारसियों के रीति- रिवाज भी अलग-अलग हैं। लिहाजा, व्यापक सांस्कृतिक विविधता के कारण निजी मामलों में एक समान राय बनाना व्यावहारिक रूप से बेहद मुश्किल है।
गोवा में पहले से यूनिफार्म सिविल कोड लागू है
बता दें कि मौजूदा वक्त में गोवा अकेला राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। गौरतलब है कि इसके लिए कई प्रयास भी किए गए होंगे।
Uniform Civil Code लागू होने से क्या नही बदलेगा
●बता दें कि अगर यूनिफार्म सिविल कोड लागू होता है तो धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नही पड़ेगा।
●वहीं धार्मिक रिति रिवाज पर इसका कोई असर नही पड़ेगा।
●खान पान पूजा इबादत वेश-भूषा पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा।
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